मातृभाषा का मजबूत आधार अन्य भाषाएं सीखने में होता है सहायक-प्राध्यापक अरुण

22
इन्द्री विजय काम्बोज

उपमंड़ल के गांव ब्याना स्थित राजकीय मॉडल संस्कृति वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में एक सप्ताह तक चलने वाले भारतीय भाषा ग्रीष्मकालीन शिविर का शुभारंभ हुआ। शिविर में विद्यार्थियों को आनंददायी गतिविधियों के माध्यम से सीखने का अवसर प्रदान किया जा रहा है। शिविर की शुरूआत प्राध्यापक अरुण कुमार कैहरबा, बलविन्द्र सिंह,  शिविर प्रभारी राजेश सैनी, अश्वनी भाटिया, स्वर्णजीत शर्मा, अश्वनी कांबोज, नरेश मीत ने की। शिविर के पहले दिन विद्यार्थियों को हिन्दी, अंग्रेजी व पंजाबी में विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से बुनियादी अभिवादन और अपना परिचय प्रस्तुत करने का अभ्यास किया। उद्घाटन सत्र में बोलते हुए अरुण कुमार कैहरबा ने कहा कि भारत विविधताओं का देश है। यहां की भाषाई विविधता पूरी दुनिया को हैरान करने वाली है। 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में 1369 मातृभाषाएं व बोलियां थी। इनमें से 121 मान्य भाषाएं हैं। संविधान की आठवीं अनुसूची में 22 भाषाओं को सूचीबद्ध किया गया है, जिन्हें अनुसूचित भाषाएँ कहा जाता है। इसके अलावा 99 गैर-अनुसूचित भाषाएं हैं। उन्होंने कहा कि भाषा और संस्कृति का अभिन्न रिश्ता है। भाषाएं हमारी पहचान हैं। उन्होंने कहा कि मातृभाषा का मजबूत आधार विद्यार्थियों को अन्य भाषाएं सीखने में सहायक होता है। इसलिए मातृभाषा को सीखने के बाद हमें अन्य भाषाएं सीखने की तरफ भी ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि शिविर का उद्देश्य भाषाई विविधता को समझना और भाषाई कौशलों को मजबूत करना है। शिविर प्रभारी राजेश सैनी ने कहा कि भाषा समर कैंप विद्यार्थियों के लिए नया सीखने का शानदार मौका है। शिविर में मजे के साथ गतिविधियों के माध्यम से सिखाया जाएगा। उन्होंने विद्यार्थियों को प्रतिदिन निर्धारित समय आने का आह्वान करते हुए कहा कि शिविर में प्रतिभागी विद्यार्थियों के लिए स्कूल ड्रैस पहन कर आने से छूट दी गई है। शिविर के दौरान विभिन्न विषय विशेषज्ञों द्वारा गतिविधियों के माध्यम से विद्यार्थियों को सिखाया जाएगा। बलविन्द्र सिंह ने कहा कि पूरे देश में इस तरह के शिविर आयोजित किए जा रहे हैं। इससे देश में भाषावाद व भाषाई संकीर्णताओं से मुक्ति मिलेगी। स्वर्णजीत शर्मा ने पंजाबी भाषा और अश्वनी कांबोज ने अंग्रेजी भाषा में विद्यार्थियों को सामान्य व विशेष परिस्थितियों में अभिवादन के तरीकों की जानकारी देते हुए अभ्यास करवाया। अश्वनी भाटिया ने गीतों व नृत्यों के माध्यम से विद्यार्थियों को प्रशिक्षण प्रदान किया। नरेश मीत ने कहा कि छुट्टियों के दौरान शिविर का समय बदलाव का समय है। उन्होंने कहा कि गतिविधियां विद्यार्थियों को करके सीखने का अवसर प्रदान करेंगी। पहले दिन की गतिविधियों के समापन पर विद्यार्थियों ने अपनी प्रस्तुतियां दी।