हरियाणा में कांग्रेस की नई मुश्किल:I.N.D.I.A में शामिल NCP ने करनाल लोकसभा सीट पर दावा ठोका; मराठा को इनेलो का समर्थन

हरियाणा में लोकसभा चुनाव के बीच कांग्रेस के लिए नई मुश्किल खड़ी हो गई है। I.N.D.I.A गठबंधन में शामिल राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) ने करनाल लोकसभा सीट पर दावा ठोका है। ये दावा पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मराठा वीरेंद्र वर्मा ​​​​​​ने किया है। इस दावे को मजबूत करने का काम इनेलो नेता अभय सिंह चौटाला ने कर दिया।

एनसीपी I.N.D.I.A गठबंधन का हिस्सा है और मराठा को अगर टिकट मिलता है तो इनेलो करनाल से अपना उम्मीदवार नहीं उतारेगी। सिर्फ हरियाणा की 9 सीटों पर ही चुनाव लड़ेगी।

चर्चा है कि अगर मराठा की अनदेखी होती है तो वह इनेलो में शामिल हो सकते हैं। इसके बाद अभय चौटाला मराठा को करनाल लोकसभा सीट से उतार सकते हैं।

मराठा वीरेंद्र ने दिल्ली में सोमवार को हरियाणा के पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्‌डा के साथ मुलाकात की।
मराठा वीरेंद्र ने दिल्ली में सोमवार को हरियाणा के पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्‌डा के साथ मुलाकात की।

मराठा के दावे पर कांग्रेस के जिला संयोजक त्रिलोचन सिंह व सतपाल कश्यप कोहंड और आम आदमी पार्टी के संयुक्त सचिव रणदीप राणा जमालपुर का कहना है कि NCP गठबंधन का हिस्सा है। टिकट किसको दी जाएगी और किसको नहीं, यह फैसला हाईकमान का है।

राजनीति में टिकट के लिए दावा करना हर नेता का अधिकार है, लेकिन फैसला हाईकमान लेगी। ऐसे में इस मामले में किसी भी तरह की टिप्पणी करना सही नहीं है। गठबंधन से जिस तरह के आदेश प्राप्त होंगे उनका पालन किया जाएगा।

पिछले साल 22 मार्च को NCP ने करनाल में एक रैली की थी। जिसमें पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार ने मराठा के लिए लोकसभा सीट का इशारा किया था।

अब पढ़िए कौन हैं मराठा वीरेंद्र वर्मा
मराठा वीरेंद्र हरियाणा प्रशासनिक सेवा में रहे हैं। 2000 में उन्होंने HCS की नौकरी छोड़ी थी। 2003 में एकता शक्ति पार्टी बनाई थी। 2005 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने 34 उम्मीदवार मैदान में उतारे। वीरेंद्र ने नीलोखेड़ी हल्के से चुनाव लड़ा था और 19 हजार वोट ही मिल पाए थे। इसके बाद नीलोखेड़ी आरक्षित सीट बनी और इन्होंने इस हल्के की राजनीति को अलविदा कह दिया।

मराठा ने 2007 में इंद्री उपचुनाव में अपनी किस्मत आजमाई। जिसमें कांग्रेस के राकेश कंबोज ने हरा दिया।

2009 में बसपा से मिला टिकट, हार मिली
2009 में वह बसपा में शामिल हो गए। बसपा ने उन्हें करनाल सीट से प्रत्याशी बनाया। इस चुनाव में उन्हें 2 लाख 30 हजार वोट मिले। इसमें कांग्रेस प्रत्याशी अरविंद शर्मा ने जीत दर्ज की थी। मराठा दूसरे नंबर पर रहे थे। चुनाव हारने के बाद बसपा ने मराठा को निष्कासित कर दिया।

इसके बाद 2009 में असंध विधानसभा से एकता शक्ति पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर उतरे और हार मिली। उन्हें 14 हजार 500 वोट ही मिल पाए।

2012 में की भाजपा जॉइन की​​​​​मराठा ने 2012 में भाजपा जॉइन कर ली। 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले चर्चा थी कि मराठा को करनाल सीट से टिकट मिल सकती है, लेकिन इस बीच हजकां-भाजपा का गठबंधन हो गया था। इसमें करनाल संसदीय सीट हजकां के खाते में गई तो मराठा ने भाजपा छोड़ दी। हालांकि बाद में भाजपा के पास ये टिकट आ गई थी लेकिन मराठा ने बसपा जॉइन कर ली।

बसपा की टिकट पर करनाल सीट से चुनाव लड़ा। इस चुनाव में भाजपा के अश्विनी चोपड़ा ने जीत दर्ज की। जबकि मराठा को 1 लाख 2 हजार 628 वोट मिले और वह चौथे नंबर पर रहे।

2014 में बसपा से लड़ा असंध हल्के से चुनाव
2014 के विधानसभा चुनाव में वह असंध हल्के से बसपा प्रत्याशी के तौर पर उतरे। इस चुनाव में 26 हजार 250 वोट हासिल किए। इसमें भाजपा प्रत्याशी बख्शीश सिंह ने जीत हासिल की। 2017 में बसपा छोड़ कांग्रेस जॉइन कर ली। 2019 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से टिकट ने मिलने पर भाजपा जॉइन कर ली।

2022 में भाजपा छोड़ आम आदमी पार्टी जॉइन कर ली। एक साल के अंदर ही उन्होंने AAP छोड़ NCP जॉइन कर ली।

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