बराड़ा(जयबीर राणा थंबड)
बराड़ा,मुलाना और सरदेहडी राइस मिलर एसोसिएशन ने अपने मांगों को लेकर मुख्यमंत्री के नाम तहसीलदार बराड़ा को ज्ञापन सोपा है वही उत्तर भारत राइस मिलर एसोसिएशन ने ऐलान किया कि अगर उनकी मांगों को ना माना गया तो राइस मिलर एसोसिएशन 2024 25 में सरकार से धान की फसल नहीं उठाएगी और ना ही सरकार से कोई एग्रीमेंट करेगी
अपनी मांगों को लेकर बराड़ा, मुलाना और सरदेहदी राइस मिलर एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री के नाम तहसीलदार बराड़ा को ज्ञापन सोपा है और वही उत्तर भारत राइस मिलर एसोसिएशन ने ऐलान किया है कि अगर सरकार उनकी मांग नहीं मानती तो वह 2024- 2025 में सरकार से जीरी नहीं उठाएंगे और ना ही सरकार से कोई एग्रीमेंट करेंगे अपनी प्रमुख मांगों में उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा उन्हें चावल लगाने के लिए स्पेस उपलब्ध करवाया जाता था परंतु इस बार उन्हें चावल लगाने के लिए स्पेस उपलब्ध नहीं करवाया गया है जिसके कारण जायदातर शेलर मालिक अपने शेलर में चावल नहीं लगा पाए हैं वही जो करेट का कराया ,लोडिंग का खर्चा और जो पहले ड्राई एक परसेंट मिलती थी अब वह आधी रह गई है मिलिंग चार्जेस भी पुराने रेट पर ही दिए जा रहे हैं जिन्हें अब बढ़ाया जाना चाहिए ।
इसी के साथ राइस मिल एसोसिएशन ने बताया कि पहले धान की जो कटाई हुआ करती थी वह हाथ से हुआ करती थी जिसमें धान की फसल सूखकर ही अनाज मंडी में किसान द्वारा लाई जाती थी जिसे चावल में टुकड़े की मात्रा कम होती थी जिसे राइस मिलर को कम नुकसान होता था क्योंकि सरकार के नियम अनुसार एक क्विंटल धान से 65 किलो चावल राइस मिलर के द्वारा सरकार को देना होता है उस समय 65 किलो चावल धान से निकल जाता था परंतु आज के समय में धान की कटाई आधुनिक यंत्रों से कटने के कारण अनाज मंडी में नमी वाली धान अनाज मंडी में पहुचाई जाति है जिस में नमी की मात्रा ज्यादा होती है जिस कारण चावल में टुकड़े की मात्रा ज्यादा होती है जिससे कि राइस मिलर को नुकसान होता है और सरकार अब भी एक क्विंटल धान से 65 किलो चावल मांग करती है मगर राइस मिलरो के कथन के अनुसार 65 किलो चावल नही निकलता उनका कहना है के एक क्विंटल धान से 60 से 61 किलो तक ही चावल मिल पाता है जो की राइस मिलर के लिए बहुत बड़ा नुकसान का कारण है इसलिए सरकार को चाहिए कि एक क्विंटल धान से जो सरकार का नियम है 65 किलो का उसको बदलकर 60 से 61 किलो किया जाए
वर्जन: अश्विंदर सिंह राइस मिल एसोसिएशन के सदस्य ने कहा कि सरकार द्वारा चावल लगाने के लिये उन्हें स्पेस उपलब्ध नहीं करवाया गया है जिसके कारण शेलर मालिक अपने शेलर में चावल नहीं लगा पाए हैं वही जो करेट का किराया लोडिंग का खर्चा ड्राई पहले मिलती थी अब वह आधी रह गई है मिलिंग चार्ज भी पुराने रेट से ही दिए जा रहे हैं जिन्हें अब बढ़ाया जाना चाहिए और रिव्यू करना चाहिए
वर्जन:- प्रवीण कपूर मुलाना राइस मिल एसोसिएशन के प्रधान ने कहा कि अबकी बार बराड़ा मुलाना व साहा में चावल स्टोर करने के लिए सरकार ने स्पेस उपलब्ध नहीं करवाया है जिसकी वजह से हमें अपना चावला करनाल, पानीपत में अपने किराए पर लगाना पड़ा है जिसका किराया सरकार ने न देकर किराए का भुगतान हमें करना पड़ा है हमारी मांग है कि वह किराया हमें वापस मिलना चाहिए ड्राइज भी पहले की तरह एक परसेंट ही मिलनी चाहिए अगर सरकार हमारी मांगों पर ध्यान नहीं देती है तो हम 2024 25 में सरकार से धान नहीं उठाएंगे और ना ही सरकार से कोई एग्रीमेंट करेंगे सरकार हमारी मांगों पर विचार नहीं करती है तो इसका खामियाजा भुगतने के लिए त्यार रहे इस मौके पर बराड़ा मुलाना सरदेहड़ी के मन्नी पाहवा,जतिन छाबड़ा,कुणाल गर्ग, प्रिंस वधवा,
प्रशांत राणा,सन्नी मेंहदीरत्ता,शोभित, मनन गर्ग थंबड के साथ अन्य राइस मिल एसोसिएशन के सदस्य मौके पर मौजूद रहे