कांग्रेस की लिस्ट से हरियाणा गायब रहने की 4 वजहें:सैलजा 3, हुड्‌डा ग्रुप की 5 सीटों पर दावेदारी; हाईकमान का जीत का अलग प्लान

लोकसभा चुनावों को लेकर कांग्रेस की पहली लिस्ट में हरियाणा से किसी उम्मीदवार की घोषणा नहीं हुई। सियासी जानकार हरियाणा के उम्मीदवारों के नामों की घोषणा नहीं होने को लेकर 4 बड़ी वजहें बता रहे हैं। हालांकि इससे पहले टिकटों को लेकर पहली स्क्रीनिंग कमेटी की मीटिंग हो चुकी है। इसमें दिग्गजों के बीच सीटों को लेकर फंसे पेंच के कारण कोई नतीजा नहीं निकल पाया है।

अब हाईकमान ने विवाद निपटाने को लेकर दूसरी मीटिंग करने के लिए कहा है। उसके बाद ही स्टेट की ओर से पैनल केंद्रीय नेतृत्व को भेजा जाएगा।

पार्टी के सूत्रों का कहना है कि कुछ नाराजगियों के चलते अभी प्रदेश कांग्रेस की स्क्रीनिंग कमेटी में पैनल फाइनल नहीं हुआ है। चूंकि हरियाणा के सभी बड़े चेहरे पहले ही लोकसभा चुनाव नहीं लड़ना चाहते हैं। ऐसे में वह अपने समर्थकों को टिकट दिलाने के लिए जुगत में लगे हुए हैं। इसकी जानकारी नेताओं ने राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और प्रदेश प्रभारी को भी दे दी है।

अब विस्तार से पढ़िए उम्मीदवारों की घोषणा न होने की 4 वजह…

1. 3 लोकसभा सीट पर सैलजा ठोक रहीं दावा
हरियाणा की पूर्व प्रदेश अध्यक्ष कुमारी सैलजा सूबे की 3 लोकसभा सीटों सिरसा, अंबाला और हिसार पर अपना प्रभाव बरकार रखना चाहती हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि सिरसा और अंबाला से वह दो-दो बार सांसद रह चुकी हैं। हिसार में भी उनका अच्छा प्रभाव है। यही वजह है कि वह इन तीनों पर अपने अपने समर्थकों को टिकट दिलाने के लिए जुटी हुई हैं। उनके समर्थकों की सूची में साडोरा की MLA रेणु बाला, पूर्व विधायक राजपाल भूखड़ी के साथ कांग्रेस के एससी विभाग के राष्ट्रीय अध्यक्ष उदित राज शामिल हैं।

सैलजा पहले ही अपने बयान में बार-बार यह दोहरा रही हैं कि वह विधानसभा चुनाव लड़ना चाहती हैं, लेकिन अगर पार्टी हाईकमान ने उन्हें आदेश किया तो वह चुनाव में उतार सकती हैं।

2. हुड्‌डा गुट 5 सीटों पर ठोक रहा दावा
नेता प्रतिपक्ष नेता और पूर्व CM भूपेंद्र सिंह हुड्डा भी लोकसभा की 5 सीटों गुरुग्राम, फरीदाबाद, रोहतक, सोनीपत और करनाल में अपने प्रत्याशी उतारने की तैयारी में हैं। हुड्‌डा गुट रोहतक से राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा, सोनीपत से कुलदीप वत्स, करनाल में चाणक्य शर्मा, गुरुग्राम से राव दान सिंह और फरीदाबाद से महेंद्र प्रताप सिंह पर दांव खेलना चाह रहा है। इसको लेकर पार्टी की हुई पहली स्क्रीनिंग मीटिंग में चर्चा भी हुई, लेकिन अभी तक इस पर कोई फैसला नहीं हो पाया है।

हुड्‌डा गुट के नेताओं का कहना है कि इन सभी लोकसभा सीटों में जातीय समीकरण के आधार पर उम्मीदवारों को लेकर फेरबदल की तैयारी भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने की हुई है। इस गुट के दो बड़े चेहरे पूर्व सीएम हुड्‌डा और हरियाणा के प्रदेश अध्यक्ष उदयभान पहले ही लोकसभा चुनाव से किनारा कर चुके हैं।

3. श्रुति-सुरजेवाला की ये है रणनीति
तोशाम से विधायक किरण चौधरी भिवानी महेंद्रगढ़ संसदीय क्षेत्र से अपनी बेटी पूर्व सांसद एवं कार्यकारी अध्यक्ष श्रुति चौधरी के लिए टिकट मांग रही हैं। कुमारी सैलजा और रणदीप सुरजेवाला भी उनकी इस मुहिम में उनके साथ हैं। हालांकि हुड्‌डा गुट इसका विरोध कर रहा है। वहीं कुरुक्षेत्र लोकसभा क्षेत्र में रणदीप सुरजेवाला का प्रभाव हाईकमान पर है, ये सीट पहले ही I.N.D.I.A गठबंधन के तहत आम आदमी पार्टी (AAP) को अध्यक्ष सुशील गुप्ता को दे दी गई है।

रणदीप सिंह सुरजेवाला अभी राज्यसभा सांसद हैं।
रणदीप सिंह सुरजेवाला अभी राज्यसभा सांसद हैं।

4. हाईकमान दिग्गजों को लड़ाने के पक्ष में
हरियाणा में पार्टी के दिग्गज नेताओं को लेकर पार्टी हाईकमान कुछ अलग ही सोच रहा है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि केंद्रीय नेतृत्व हरियाणा में भाजपा को एकतरफा जीत का मौका नहीं देना चाहता है। ऐसे में वह सूबे के बड़े चेहरों को चुनाव लड़ाना चाहता है। इसके संकेत भी नेताओं को दिए जा चुके हैं, जिसको देखते हुए अब दिग्गज नेता सार्वजनिक मंच पर विधानसभा चुनाव लड़ने की बात कह रहे हैं। इनमें दो बड़े नाम सबसे ऊपर हैं, पहला पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्‌डा और दूसरा कुमारी शैलजा का नाम है।

समर्थकों पर क्यों खेलना चाहते हैं दिग्गज दांव
कांग्रेस के इन सभी दिग्गजों को इस बात का आभास है कि लोकसभा चुनाव के तुरंत बाद विधानसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में विधानसभा क्षेत्र में अपने समर्थकों को टिकट दिलवाने की उनकी रणनीति का हिस्सा लोकसभा चुनाव की तैयारी बन रही है। कुमारी सैलजा ने इस बात का स्पष्ट संदेश भी दिया है कि लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस संदेश यात्रा के दूसरे चरण की शुरुआत की जाएगी।

जिसके तहत हरियाणा की 90 में से एक तिहाई 30 विधानसभा क्षेत्र में संदेश यात्रा निकालकर बड़ी रैली की जाएगी और अपने समर्थकों को इस संबंध में सहमति दे चुकी है। वहीं हुड्‌डा गुट भी इसको लेकर अपनी अलग रणनीति पर काम कर रहा है।

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