फसल अवशेषों में आगजनी की घटनाओं को रोकने के लिये गठित की गई ग्राम स्तरीय टीमें :-एसडीएम

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अधिकारी व कर्मचारी अपने कार्य में न बरते लापरवाही-अशोक मुंजाल
इन्द्री विजय काम्बोज |।  
 एसडीएम अशोक मुंजाल ने कहा कि धान की फसल की कटाई का कार्य शुरू हो चुका है। अक्सर किसान फसल कटाई के बाद बचे फसल अवशेषों में आग लगा देते हैं, जिससे वायु प्रदूषण होने के साथ-साथ भूमि की उर्वरा शक्ति भी कम होती है। संबंधित सभी अधिकारी व कर्मचारी किसानों को फसल अवशेष न जलाने के बारे में जागरूक करें ताकि आगजनी की घटनाओं को रोका जा सके। सभी सम्बन्धित अधिकारी व कर्मचारी आपसी तालमेल व समन्वय के साथ अपनी डयूटी निर्वहन पूरी ईमानदारी, लगन व निष्ठा से करे। एसडीएम अशोक मुंजाल शुक्रवार को बीडीपीओ कार्यालय के सभागार में फसल अवशेष प्रबन्धन डयूटी से सम्बन्धित सभी अधिकारियों व कर्मचारियों की आयोजित मीटिंग की अध्यक्षता कर रहे थे।

मीटिंग के दौरान ने एसडीएम अशोक मुंजाल ने कहा कि फसल अवशेष जलाने की घटनाओं को लेकर विभिन्न विभागों के अधिकारियों व कर्मचारियों की ग्राम स्तरीय टीमे गठित कर गांवों की जिम्मेदारियां सौंपी गई है। यह टीमें अपने-अपने क्षेत्र/गांव में निगरानी करेंगी। उन्होंने कहा कि सितम्बर से नवम्बर का महीना बहुत ही महत्वपूर्ण है तथा फसल कटाई का कार्य शुरू हो चुका है, इसलिये सभी सम्बन्धित अधिकारी व कर्मचारी आपसी तालमेल व समन्वय के साथ अपनी डयूटी को पूरी ईमानदारी, लगन व निष्ठा के साथ निभाएं। उन्होंने अधिकारियों व कर्मचारियों को निर्देश दिये कि वे अपनी डयूटी में किसी प्रकार की कौताही व लापरवाही न बरतें। उन्होंने कहा कि किसानों को फसल अवशेष न जलाने बारे तथा इसके उचित प्रबन्धन बारे जागरूक करें। आगजनी की घटनाओं की निगरानी के लिये इस बार सेटेलाइट 24 घंटे निरंतर कार्य करेगा। यदि कोई किसान अपनी फसलों के अवशेष में आग लगाता है तो नियमानुसार उस पर 30 हजार रुपये तक का जुर्माना व एफआईआर के साथ-साथ रेड एन्ट्री का भी प्रावधान है। उन्होंने बताया कि अगर कोई किसान फसल अवशेषों में आग लगाते हुए पाया जाता है तो वह दो वर्ष के लिये अपनी फसल का रजिस्ट्रेशन मेरी फसल-मेरा ब्यौरा पोर्टल पर नही करवा पाएगा, जिस कारण अगले दो वर्ष तक वह अपनी फसल मंडी में नहीं बेच पाएगा। उन्होंने बताया कि कृषि विभाग द्वारा फसल अवशेष प्रबन्धन(इन सीटू/एक्स सीटू) करने वाले किसानों को 1200 रुपये प्रति एकड़ की दर से अनुदान राशि का भी प्रावधान किया गया है।
किसान फसल अवशेषों में आग न लगाकर करें उचित प्रबंधन- एसडीएम
एसडीएम ने किसानों से भी अपील की कि वे खेतों में फसल कटाई के बाद फानों में आग न लगाएं, बल्कि उनका खेत में ही आधुनिक उपकरणों द्वारा उसका समुचित प्रबंधन करें। विभाग द्वारा आधुनिक कृषि यंत्र जैसे सुपर सीडर, बैलर्स, रोटावेटर्स, हैप्पी सीडर, एमबी प्लो, जीरो टिल सीड ड्रिल आदि सभी गांवों में उपलब्ध करवाए गये हैं। किसान इन आधुनिक यंत्रों का प्रयोग करके फसल अवशेषों का सही तरीके से प्रबन्धन कर सकते हैं।

अधिकारी/कर्मचारी फसल अवशेष प्रबंधन को लेकर किसानों को करें जागरूक-डॉ वजीर सिंह
कृषि उपनिदेशक डॉ वजीर ने कहा कि ग्राम स्तरीय टीमों में कृषि, राजस्व, पंचायत, बागवानी, बिजली, पशुपालन, जनस्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों को डयूटियां सौंपी गई हैं। उन्होंने कहा कि जिन भी अधिकारियों की कर्मचारियों की डयूटी फिल्ड में लगाई गई है, वे सभी अपने-अपने आबंटित गांवों में जाकर सरपंच, नम्बरदार, चौकीदार, गांव के मौजित लोगों वे किसानों से मिलकर फसल अवशेष प्रबन्धन बारे जागरूक करें। गांवों में स्थित मंदिरों, गुरुद्वारों, मस्जिदों व अन्य सार्वजनिक स्थलों के माध्यम से इस बारे नियमित रूप से मुनादी भी करवाएं। उन्होंने बताया कि हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के निर्देशानुसार कम्बाइन हारवेस्टर के साथ सुपर स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम (एसएमएस प्रणाली) लगाना अनिवार्य किया गया है। यह यंत्र कम्बाइन हारवेस्टर के साथ अटैच करके कम्बाइन द्वारा काटी गई धान की फसल के अवशेषों को छोटे-छोटे टुकड़ों में करके खेतों में एक समान बिखेर देता है। इससे धान की फसल अवशेषों को आसानी से मिट्टी में मिलाया जा सकता

खंड कृषि अधिकारी डा0 अश्वनी कुमार ने बताया कि फसल अवशेष जलाने से हमारा वातावरण दूषित होता है जिसकी वजह से हम सभी को कईं बीमारियों का सामना करना पड़ता है। उन्होंने बताया कि फसल अवशेष जलाने से शत-प्रतिशत नाइट्रोजन व काफी मात्रा में सल्फर का नुकसान होता है तथा इसके साथ-साथ जैविक पदार्थ, मित्र कीट नष्ट हो जाते हैं। उन्होंने बताया कि फसल अवशेष जलाने से कार्बन मोनोऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड, राख, मीथेन व अन्य अशुद्धियाँ उत्पन्न होती है। इससे वायु प्रदूषण बढ़ता है।