इन्द्री विजय काम्बोज || एसडीएम सुरेन्द्र पाल ने बताया कि दैनिक जीवन में पॉलिथीन का प्रयोग जितना सुविधा जनक लगता है, उसका परिणाम उतना ही घातक है क्योंकि प्रयोग किए गए पॉलीथिन को नष्टï करना गंभीर समस्या है। यह जलने में पूरी तरह सक्षम नहीं है व जलने पर पॉलिथीन पूरी तरह नष्ट नहीं होते। इससे पर्यावरण प्रदूषित होता है। इसके साथ-साथ पॉलिथीन बैग भूमि की उर्वरा शक्ति को भी नष्ट करते हैं तथा फसल बिजाई के समय जो बीज खेतों में बिखरे इन पॉलिथीन की थैलियों के नीचे आ जाते हैं उनका जमाव बिल्कुल नहीं होता, जिससे किसान के फसल उत्पादन पर भारी प्रभाव पड़ता है। उन्होंने बताया कि जहां जल निकासी में बाधक बनते हैं वहीं इससे मानव के साथ-साथ पशुओं के स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। पॉलिथीन का अपशिष्ट किसी काम नहीं आता, न तो वह पूरी तरह नष्ट होता है और न ही उससे अन्य अपशिष्टï की तरह खाद तैयार हो सकती है। पॉलिथीन उपयोग का कोई लाभ नहीं बल्कि हानि ही हानि है।
उन्होंने बताया कि पॉलिथीन के बैग आम आदमी के लिए प्रयोग में इतने सुविधा जनक हैं कि उन्हें छोड़ पाना कठिन लगता है किन्तु पॉलीथिन बैगों के प्रयोग को छोड़ने के लिए इसके विकल्पों की और भी ध्यान देना जरूरी है क्योंकि पॉलिथीन का प्रयोग न केवल पर्यावरण के लिए अपितु मानव स्वास्थ्य के लिए भी घातक सिद्ध हो रहा है। पॉलिथीन के छोटे-बड़े बैग नालियों एवं नालों में फंस कर पानी अवरुद्ध करते हैं, जिससे मक्खी, मच्छर व कीटाणु पैदा होने से अनेकों बीमारियां जन्म लेती हैं। अत: सभी लोगों को पॉलीथिन का प्रयोग पूर्णत: बंद कर देना चाहिए।
एसडीएम ने बताया कि लोगों को पॉलीथिन बैगों के स्थान पर कपड़े, जूट या मोटे कागज के बैग और कागज के लिफाफों का प्रयोग करना चाहिए। फल, सब्जियों, फूलों आदि को रखने के लिए बांस और पेड़ों की टहनियों से बनी टोकरियों का प्रयोग किया जाना चाहिए। यदि लोग यह संकल्प ले कि वे कभी पॉलिथीन का प्रयोग नहीं करेंगे तो कुछ भी कठिन नहीं है। उन्होंने लोगों से अपील की है कि अपने आसपास वातावरण को साफ-सुथरा रखने, पर्यावरण को स्वास्थ्य वर्धक बनाने तथा गंदे पानी की सही जल निकासी के लिए पॉलिथीन के प्रयोग को पूरी तरह बंद करके प्रशासन को सफाई व्यवस्था बरकरार रखने में अपना पूर्ण सहयोग दें।
——————-