करनाल विजय काम्बोज || जिले के हर घर में दस्तक देकर स्वास्थ्य विभाग की टीमें कुष्ठ रोगियों की पहचान करेंगी। राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम (एनएलईपी) के अन्तर्गत जिले के 13 सामुदायिक एवं शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों के तत्वाधान में शहरी कुष्ठ नियन्त्रण कार्यक्रम का संचालन किया जायेगा। जिला स्तर पर सिविल सर्जन डॉ. कृष्ण कुमार, डिप्टी सीएमओ डॉ. सिम्मी व पैरा मेडिकल वर्कर वन्दना आर्या द्वारा कार्यक्रम को निर्देशित किया जायेगा।
इस बारे अधिक जानकारी देते हुए सिविल सर्जन डॉ. कृष्ण कुमार ने बताया कि यू.एल.सी.पी. 15 नवम्बर से 25 नवम्बर 2023 तक करनाल के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों-तरावड़ी, नीलोखेड़ी, इन्द्री, घरौण्डा, असंध व नीसिंग तथा अर्बन प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों-शिव कालोनी, रामनगर, इंदिरा कालोनी, धोबी मौहल्ला, सेक्टर-13, सेक्टर-6 व वसंत विहार के क्षेत्रों में संचालित होगा। कार्यक्रम की सभी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। स्वास्थ्य विभाग की कुल 85 टीमें जिनमें एक आशा वर्कर व एक पुरूष कार्यकर्ता होंगे, घर-घर जाकर कुष्ठ संभावित व्यक्तियों की पहचान करेंगे। कुल 17 एमपीएचडब्ल्यू टीम सुपरवाइजर टीमों का पर्यवेक्षण करेंगे।
उप सिविल सर्जन, कुष्ठ रोग विभाग डॉ. सिम्मी कपूर ने बताया कि यूएलसीपी के अन्तर्गत 14 दिनों में 33 हजार 320 घरों में, 1 लाख 66 हजार 600 लोगों से सम्पर्क का लक्ष्य रखा गया है। स्वास्थ्य विभाग की टीमें जनसामान्य को कुष्ठ रोग के विषय में भी जागरूक करेंगी ताकि कुष्ठ संभावितों की शीघ्र पहचानकर उनकी जांच एवं समय पर इलाज करवाया जा सके तथा एनएलईपी के उद्देश्य 2027 तक ‘कुष्ठ संचरण मुक्त भारत’ के उद्देश्य को प्राप्त किया जा सके। उन्होंने बताया कि आईईसी के द्वारा जनसामान्य को जागरूक करने के लिए ऑटो द्वारा माईकिंग की शुरूआत आज की गई। संभावित रोगियों की जांच डॉ. एस.पी. सिंघल व डॉ. प्रदीप मान, त्वचा रोग विशेषज्ञ, कमरा नं.-23, ओपीडी ब्लॉक, जिला नागरिक अस्पताल, करनाल द्वारा की जायेगी। डिप्टी सीएमओ ने बताया कि संवेदनशील स्थान जैसे-झुग्गी बस्ती, चावल मिल, अनाज मण्डी, सब्जी मण्डी, इण्डस्ट्रियल एरिया, लेबर चौक, बस स्टैण्ड, रेलवे स्टेशन, ऑटो स्टैण्ड, कन्सट्रक्शन साइट्स, ट्रक यूनियन व ढाबे आदि यूएलसीपी के मुख्य केन्द्र होंगे।
पैरा मेडिकल वर्कर वन्दना आर्य ने बताया कि कुष्ठ रोग एक सामान्य त्वचा रोग है, जो सांस के द्वारा, इलाज ना ले रहे कुष्ठ रोगी से दूसरे व्यक्ति को फैलता है। परन्तु समय पर ईलाज शुरू ना करने पर रोगी विकलांग हो सकता है। कुष्ठ का इलाज सभी सरकारी स्वास्थ्य केन्द्रों पर मुफ्त उपलब्ध है। यदि किसी व्यक्ति के शरीर पर सुन्न दाग-धब्बे, गांठे, हाथ-पैरों की नसों में झनझनाहट, पलकों का पूरी तरह बन्द ना होना, सुन्नपन के साथ हाथ-पैरों की उंगलियों का मुडऩा, उनमें घाव की शिकायत हो, तो वह कुष्ठ रोग हो सकता है।
त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ. एस.पी. सिंघल ने बताया कि जनसामान्य द्वारा उपरोक्त रोगियों को हेय दृष्टि से नहीं देखा जाना चाहिए, क्योंकि कुष्ठ रोग छूत की बीमारी नहीं है। लक्षणों के प्रारम्भिक अवस्था में तथा पूरा इलाज लेने पर रोगी पूर्णत: स्वस्थ हो जाता है। रोगी घर पर रहकर ही इलाज ले सकता है, विवाह कर सकता है, सामान्य जीवनयापन कर सकता है। उन्होंने जानसामान्य से निवेदन किया कि कुष्ठ के लक्षण दिखाई देने पर तुरन्त सरकारी स्वास्थ्य केन्द्र पर जांच करायें, झाड़-फूंग तथा अन्धविश्वास से बचें। बिना जांच के मेडिकल स्टोर से स्वयं इलाज/दवाई ना लें।