इन्द्री विजय काम्बोज
उपमंडल के गांव सैयद छपरा में 27 जून से लगातार मजलिसों का दौर चल रहा है जिसकी देखरेख अंजुमन यादगारें हुसैनी कर रही है। आज हजरत अली अकबर की शहादत का दिन था। उनकी याद में मजलिस में उनकी शहादत को याद किया गया। हजरत अली अकबर इमाम हुसैन के बेटे थे। इस मजलिस को मौलाना जिनान असगर ने खिताब फरमाते हुए बताया कि इराक की सर जमीन कर्बला में जो दर्दनाक घटना हुई थी वो बहुत ही दु:खद थी। इमाम हुसैन अपने खानदान के साथ मदीने से मक्के हज के लिए पहुंचे थे ओर उनके बाद उन्हें कूफे जाना था। उन्होंने बताया कि इमाम हुसैन कूफे का जाएजा़ लेने के लिए मुस्लिम बिन अकिल को भेजा जिन्हें कूफीयों ने उसके दो बच्चों सहित शहीद कर दिया था। दरअसल यजीद चाहता था कि इमाम हुसैन को धोखे से कुफे में बुलाकर चुपचाप कत्ल कर दिया जाए लेकिन यजीद का यह इरादा पूरा न हो सका। इमाम हुसैन अपने काफिले के साथ मक्के हज करने पहुंचे तो यजीद ने उनका कत्ल करने के लिए हाजियों के लिबास में बड़ी तादाद में अपने सिपाही तैनात कर दिए थे। इसकी खबर मिलने पर इमाम हुसैन ने अपने हज के इरादे को बदल मक्के को छोड़ दिया। तब यजीद ने अपनी सेना के कमांडर इब्ने जियाद को हुकम भेजा कि वो इमाम हुसैन से बेयत ले नहीं तो उनका सर काट कर उसके सामने पेश करें। इमाम हुसैन को कर्बला से पहले रोक यजीद का फरमान सुनाया। इमाम हुसैन ने यजीद का फरमान सुनकर बेयत स्वीकार करने से इनकार कर दिया। इस मौके पर अंजुमन यादगारें हुसैनी के संयोजक रजा अब्बास, नजफ अब्बास, अली हैदर, मोहम्मद अली, साने रजा, अली इमरान, मोहम्मद अब्बास सहित कई अन्य श्रद्धालु मौजूद रहे।