धान की कटाई के लिए कम्बाईन हार्वेस्टर के साथ सुपर स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम अनिवार्य: वजीर सिंह

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करनाल सीमा देवी  ।   कृषि विभाग के उपनिदेशक डॉ. वजीर सिंह ने बताया कि राज्य में धान की पराली जलाने की समस्या तथा पर्यावरण पर इसके प्रतिकूल प्रभाव को ध्यान में रखते हुए, हरियाणा राज्य (प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, वायु प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम 1981 की धारा 31-ए के तहत शक्तियों का प्रयोग करते हुए निर्देश जारी किए है। जारी निर्देशों के अनुसार हरियाणा राज्य में धान की कटाई करने के इच्छुक कम्बाईन हार्वेस्टर के मालिक कम्बाईन हार्वेस्टर के साथ सुपर स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम लगाएंगे तथा राज्य में किसी भी कम्बाइन हार्वेस्टर को सुपर स्ट्रॉ मैनेजमेंट सिस्टम के बिना धान की कटाई करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। कटाई के बाद खुले खेत में धान की पराली जलाना राज्य और उससे सटे दिल्ली एनसीआर में वायु प्रदूषण का मुख्य कारण है और इस तरह की हरकतें मिट्टी और पर्यावरण को अपूर्णीय क्षति पहुंचा रही है।
उन्होंने बताया कि धान की कटाई प्रक्रिया के दौरान जब कम्बाईन हार्वेस्टर के साथ सुपर स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम को जोड़ा जाता है, तो धान के अवशेषों को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटा जा सकता है, जिससे किसानों को धान के अवशेषों को जलाए बिना अपनी अगली फसल बोने में सुविधा होती है। जिससे किसान आगजनी नहीं करता है और वायु प्रदूषण नहीं होता है। इसलिए धान की कटाई करने वाले कम्बाईन हार्वेस्टर के मालिकों को कम्बाईन हार्वेस्टर पर सुपर स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम लगवाना अनिवार्य किया जाऐगा।
उप निदेशक डॉ. वजीर सिंह ने सभी कम्बाईन हार्वेस्टर मालिको से आग्रह किया है कि वे सभी अपनी कम्बाईन हार्वेस्टर पर सुपर स्ट्रॉ मैनेजमेंट सिस्टम लगवा लें ताकि उनको सीजन में किसी भी प्रकार की समस्या का सामना न करना पड़े। उन्होंने सभी किसानों से अपील की है कि वे फसल कटाई  के उपरांत बचे हुए अवशेषों में आग न लगाएं बल्कि इसको पशु चारे के तौर पर या खेत में ही मिलाकर उपयोग करें।
डॉ वजीर सिंह ने बताया कि अकसर किसान धान फसल की कटाई के बाद बचे हुए अवशेषों में आग लगा देते है जिससे पर्यावरण प्रदूषित होता है, भूमि की उर्वरता में कमी आती है व जान माल की हानि का डर भी बना रहता है ।  सरकार द्वारा फसल अवशेषों में आगजनी करने पर पूर्ण प्रतिबंध भी लगाया हुआ है ।
उन्होंने बताया कि जिला में पिछले दो वर्षो से आगजनी की घटनाओं में लगभग 60 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है । जिला प्रशासन के प्रयास व जिला के प्रगतिशील किसानों के सहयोग से हरसेक से प्राप्त होने वाली लोकेशन जो कि खरीफ 2021 में 957 दर्ज की गई थी, खरीफ 2022 में घटकर 301 दर्ज की गई थी, खरीफ 2023 में केवल 126 व खरीफ 2023 में केवल 95 एएफएल दर्ज की गई है । खरीफ 2023 में रेड जोन गांवों की संख्या 10 व येलो जोन गांवों की संख्या 53 थी जो घटकर खरीफ 2024 में रेड जोन गांवों की संख्या 2 व येलो जोन गांवों की संख्या 24 रह गई है। इन गांवों में जागरूकता के लिए विशेष कैंप लगाए जाएंगे।
उन्होंने बताया कि विभाग द्वारा सभी गांवों में किसानों के लिए जागरूकता शिविर आयोजित किये जाते  हैं, इसके अलावा प्रत्येक गांव में मुनादी व धार्मिक स्थलों पर लाउडस्पीकर के माध्यम से जागरूक किया जाता है । स्कूल / कॉलेज में पढ़ने में वाले बच्चों के सहयोग से रैलियां व प्रभात फेरी निकाली जाती है । गांव व खंड अनुसार सभी किसानों के वाट्सएप ग्रुप बनाये गये हैं व पिछले सालों में जिन किसानों द्वारा खेतों में आगजनी की गई थी, उन सभी से अनुरोध किया जा रहा है कि वे इस वर्ष आगजनी न करें ।
उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा इस वर्ष फसल अवशेषों में आगजनी की घटनाओं में जीरो बर्निंग का लक्ष्य दिया गया है । इन आगजनी की घटनाओं को रोकने के लिए गांव स्तरीय कमेटी/एनफोर्समेंट टीम का गठन किया जाता है जिसमें कृषि विभाग के अधिकारी/कर्मचारी, सम्बन्धित पटवारी व ग्राम सचिव सदस्य हैं। साथ ही पशुपालन विभाग व बिजली विभाग के साथ-साथ अन्य विभागों के अधिकारी कर्मचारी भी इस कार्य के लिए लगाए जाते  हैं।