गौमय स्वाबलंबन अभियान के तहत गोबर से बनी 21हजार राखियां और 21भारत रक्षा सूत्र बनाने का संकल्प
गाय के गोबर से बने हवन के साथ गमले, दीवारों पर सजाने के लिए मूर्तियां , हवन के लिए समिधा और नहाने के लिए साबुन
अब गाय के गोबर से बनाए जाएंगे घरों को सजाने के लिए सामान
सेवा भारती ने करनाल की धरा से शुरू किया स्वाबलंबी प्रकल्प के तहत गौ उत्पाद निर्माण अभियान
करनाल विजय काम्बोज || कर्ण नगरी से गौ वंश को बचाने और गौ पाालकों को आत्म निर्भर बनाने की शुरुआत की जा चुकी है। रक्षा बंधन के अवसर पर राखियां और रक्षा सूत्र बनाए है। इनका आज करनाल के सेवा भारती कार्यालय में पूजन किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि सांखला क्लासिज के एसएल सांखला थे।। गाय के गोबर से अब भगवान की मूर्तियां, वंदनवार, पूजा की माला धूप बत्तियां शिव स्वरूप के साथ साथ अन्य कलाकृतियां बनाई जा रही है। करनाल के सेवा भारती परिसर में गौमय स्वावलंबी यात्रा की प्रेरणा को लेकर गौ उत्पाद स्वाबलंबी प्रकल्प के तहत गौ उत्पाद निर्माण अभियान की शुरूआत की गई हैं। इस अवसर पर गौमय उत्पादों की प्रदर्शनी लगाई गई। इस अवसर पर सेवा भारती से रोशन लाल गुप्ता, पूनम पांचाल,राममेहर प्रमुख रूप से उपस्थित थे। इस अवसर पर यहां प्रदेश की चुनिंदा महिलाओं को प्रशिक्षण देने के लिए महाराष्ट्र के नागपुर से प्रशिक्षक आए थे। इस प्रशिक्षण की अगुवाई जगाधरी से आए तरुण जैन ने की। गाय के गोबर और मूत्र से दैनिक उपयोग में आने वाली सामग्री बनाई जा रही हैं।
महिलाएं प्रदेश भर में जाकर महिलाओं को प्रशिक्षित करेंगी।
तरुण जैन अब तक 750 महिलाओं को प्रशिक्षित कर चुके है। उन्होंने बताया कि रक्षाबंधन पर सात्विक राखियां बनाई गई है। यहां से तीन सौ रक्षा सूत्र तथा राखियां नागपुर भेजी है। इसके अलावा 21 हजार राखियां और इतने ही रक्षा सूत्र बनाए है। हरियाणा में सभी विशिष्ट जनों कर गौमय राखियां भेंट की जाएंगी।
गाय का दूध दही और घी ही काम में नहीं आएगा बल्कि गाय का गोबर और गौ मूत्र भी लोगों की आजीविका का साधन बनेगा। इसके पीेछे मुख्य उद्देश्य गौवंश को बचाना हैं। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम सेवा भारती के सुरेंद्र ग्रोयल और रोशन लाल गुप्ता के देख रेख में चल रहा हैं। महाराष्ट्र से आए सचिन और आशीष ने बताया कि उन्होंने नागपुर और बिदर्भ के आदिवासियों के इलाके में इस अभियान को शुरू किया। इसके माध्यम से आदिवासियों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाना था। वहीं पर उन्हें ईसाई मिशनरी द्वारा धर्मांतरण के कुचक्र से बचा कर गौ संबंर्धन के साथ जोड़ कर सनातन संस्कृति के नजदीक लाना है। वह अब तक दि ल् ली, पंजाब, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश महराष्ट्र, राजस्थान, पंजाब सहित देश के विविध भागों में प्रशिक्षण दिया हैं। उन्होंने बताया कि इसके लिए उन गायों के गोबर का प्रयोग किया जाता है जिन्हें बांधा नहीं जाता है और ना ही उन्हें केमीकल दिया जाता हैं। इस अभियान के माध्यम से ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक रूप से स्वबलंबी बनाया जाएगा।
इन उत्पादों को बनाने का दिया जाएगा प्रशिक्षण 

उन्होंने बताया कि प्रशिक्षण के दौरान गोमुत्र अर्क 12 प्रकार के (भिन्न भिन्न रोगों के लिए), घनवटी 9 प्रकार की(भिन्न भिन्न रोगों के लिए), पित्तशामक चूर्ण, काला दंत मंजन, सादा दंत मंजन, गोमुत्र से फिनाइल गोबर से डिजाइनर कंडे कपूर वाले. गोबर से सजावट का सामान गोबर से मोमेंटो गोबर से माला, गोबर से एंटी रेडिएशन मोबाइल बैक कवर. गोबर से दिया. गोबर से राखिया . गोबर से नेमप्लेट. एन्टी रेडिएशन मोबाइल स्टैंड. गोबर से तोरण.गोबर से सम्बरानी कप,.गोबर से धूपबत्ती 6 प्रकार की. गोबर से मूर्तिया.गोबर से समिधा/लकड़ी. गोबर से गमले. गोबर से सुगंधित ऊर्जा दीपक. गोबर से अग्निहोत्र व बलिवैश्व यज्ञ की किट. गोबर से मोबाइल चार्जिंग स्टैंड. गोबर से घड़ी. गोबर का सिंहासन. गोबर की चौकी. गोबर के फोटो स्टैंड.राखियां गोबर से सीड बॉल बनाना, गोबर से बड़े आकार के कंडे बनाना, गोबर से किचेन उत्पाद बनाना. गोबर से कलर 1 पेंट्स बनाना अपने उपयोग के लिए गोबर से प्लास्टर्र. गोबर से बिल्ला (बैच) बनाना सीने पर लगाने वाला्. घी बनाने की शास्त्रोक्त विधि. नेत्र औषधि. पंचगव्य घृत. कर्णोषधि. मलहम. लेप. अंगराग (नहाने का पाउडर). गौशाला व्यवस्थापन. गायो की पहचान. चारा व्यवस्थापन. रोगों में पथ्य- अपथ्य. औषधि सिद्ध करना. अति महत्वपूर्ण जड़ी बूटियों की पहचान. आयुर्वेदिक वनस्पति को कैसे तोडना और कब तोडऩा . अमृतधारा बनाना. त्रिफला बनाना . जीवामृत, बीजामृत, व कीटनाशक बनाना घन जीवामृत बनाने की स पद्धति। गौ मूत्र से गौनाइल, हवन कप, धूप बत्ती, बर्तन साफ करने वाले सामान के निर्माण को लेकर प्रशिक्षण दिया गया था।