जुल्म के आगे कभी नहीं झुकना चाहिए चाहे इसके लिए सर ही क्यों ना कट जाएं-संयोजक रजा अब्बास

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इन्द्री विजय काम्बोज ||
उपमंडल के गांव सैयद छपरा में अंजुमन यादगारें हुसैनी द्वारा मोहर्रम की मजलिसों का आयोजन किया जा रहा है। इा मौके पर मजलिस को खिताब करते हुए मौलाना जिनान असगर देहलवी ने हबीब इब्ने मजाहिर की शहादत ब्यान की जिनको सुनकर अज़ादारों ने हाय हुसैन- हाय हुसैन की सदाए बुलंद की। मौलाना के इस ब्यान को सुनकर लोगों की आंखें नम हो गई। मौलाना ने कहा कि यजीद की ज्यादतियों से सभी मुसलमान आहत हैं। यही वजह है कि आज तक कोई भी मुसलमान अपने बच्चों का नाम यजीद के नाम पर नहीं रखता जबकि हुसैन का नाम हर घर में लिया जाता है। मजलिस के फौरन बाद हबीब इब्ने मजाहिर का ताबूत बरामद किया गया। अंजुमन यादगारें हुसैनी के संयोजक रज़ा अब्बास ने बताया मोहर्रम की घटना के बाद सभी मुस्लिम देशों में इमाम हुसैन की याद में मोहर्रम मनाया जाता है। 10 मोहर्रम को इमाम हुसैन की शहादत की याद ताजा हो जाती है।  उन्होंने कहा कि कर्बला की जंग इमाम हुसैन की शहादत हर मजहब के लोगों के लिए एक मिसाल है। यह जंग बताती है कि जुल्म के आगे कभी नहीं झुकना चाहिए चाहे इसके लिए सर ही क्यों ना कट जाए। मोहर्रम का महीना कुर्बानी व मातम,का महीना है क्योंकि इमाम हुसैन ने अपनी कुर्बानी देकर पूरी इंसानियत को यह पैगाम दिया है । इस मौके पर मौलाना हसीन अब्बास, अली जाफऱ,जमाल अब्बास, मौलाना अब्बास रजा, मज़हर अब्बास, मज़ाहिर हसन, मोहसिन अब्बास, अली ज़ामीन, मोहम्मद नक़ी, हुसैन रज़ा, आदि मौजूद रहे।

मोहर्रम का पूरा महीना खानदाने रसूल की शहादत की बहुत याद दिलाता है-मौलाना देहलवी