करनाल वीएस भारती
रघुनाथ मंदिर में भगवत कथा के सप्तम दिवस पर साध्वी राधे प्रिया जी के पावन सानिध्य में आज रास बहन लीला एवमं रुक्मणी विवाह के बारे में बताया। साध्वी जी जी ने बताया की कृष्ण भगवान ने गोपियों संग रासलीला के पात्रों में राधा-कृष्ण तथा गोपिका रहती है। कृष्ण का गोपियों, सखियों के साथ अनुराग पूर्ण वृत्ताकार नृत्य होता है। कभी कृष्ण गोपियों के कार्यों एवं चेष्टाओं का अनुसरण करते है और कभी गोपियाँ कृष्ण की रूप चेष्टा का अनुसरण करती है और कभी राधा सखियों के, कृष्ण की रूप चेष्टाओं का अनुसरण करती है।
कभी कृष्ण गोपियों के हाथ में हाथ बाँधकर नाचते है इन लीलाओं की कथावस्तु प्रायः राधा-कृष्ण की प्रेम क्रीड़ा होती है। रुक्मणि जी का बड़ा भाई रुक्मी भगवान श्री कृष्ण से बहुत द्वेष रखता था। उसको यह बात बिल्कुल सहन न हुई कि मेरी बहन को श्रीकृष्ण हर ले जाएँ और राक्षस रीति से बलपूर्वक उसके साथ विवाह करें।भगवान् भगवान श्रीकृष्ण ने सब राजाओं को मन जीत लिया और विदर्भ राजकुमारी रुक्मिणी जी को द्वारका में लाकर उनका विधि पूर्वक पाणिग्रहण किया। द्वारकापुरी के घर-घर बड़ा ही उत्सव मनाया जाने लगा। कथा के अंत में मुख्य यजमान विकास गुप्ता रहे। आज कथा में रूप से मुख्य संरक्षक विनोद खेतरपाल, अमित आहूजा, दिनेश छाबड़ा ,रमेश मिढ़ा, ऋषिपाल आर्य, घनशयाम बठला, केशो लाल अरोड़ा, विनीत भाटिया, रमेश शर्मा, उषा चौधरी, कमलेश , सोनिया चोपड़ा, मनोरमा बुधिराजा, गीता एवं रेखा आदि भक्तजन मौजूद रहे।