हरियाणा नगर निगम अधिनियम, 1994 की धारा 33 में शपथ के प्ररूप में नॉमिनेटेड/मनोनीत शब्द का प्रयोग ही नहीं – एडवोकेट हेमंत
चंडीगढ़|| गत माह 9 जुलाई 2025 को हरियाणा के शहरी स्थानीय निकाय विभाग के आयुक्त एवं सचिव विकास गुप्ता के हस्ताक्षर द्वारा जारी नोटिफिकेशन मार्फ़त प्रदेश के 8 नगर निगमों नामत: फरीदाबाद, गुरुग्राम, हिसार, करनाल, मानेसर, पानीपत, रोहतक और यमुनानगर में प्रत्येक में राज्य सरकार द्वारा तीन-तीन नॉमिनेटेड मेंबर (मनोनीत सदस्य) के नाम अधिसूचित किये गए.
बहरहाल, फरीदाबाद नगर निगम में मनोनीत तीन सदस्यों के नाम हैं — गौरव नागपाल, उमेश परोचा और विशेष वर्मा जिन्हें नगर निगम मेयर रेणु बाला गुप्ता द्वारा पद और निष्ठा की शपथ दिलाई जायेगी.
इसी बीच पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट और म्युनिसिपल कानून के जानकार हेमंत कुमार ने बताया कि न केवल भारतीय संविधान के अनुच्छेद 243 (आर) के अनुसार बल्कि उसी अनुपालना में बनाये गए हरियाणा नगर निगम कानून, 1994, जो प्रदेश की सभी नगर निगमों पर लागू होता है, की धारा 4 में प्रदेश सरकार द्वारा प्रदेश की सभी नगर निगमों में उन व्यक्तियों को ही सदस्य के रूप में मनोनीत (नॉमिनेट ) करने का उल्लेख है जो नगरपालिका प्रशासन में विशेष ज्ञान या अनुभव रखते हो एवं प्रत्येक नगर निगम में ऐसे मनोनीत सदस्यों की संख्या अधिकतम 3 हो सकती है. हालांकि वास्तविकता यह है कि प्रदेश सरकार म्युनिसिपल प्रशासन में विशेषज्ञों के स्थान पर सत्तारूढ़ पार्टी के नेताओ के नजदीकियों और स्थानीय स्तर के पार्टी कार्यकर्ताओ को ही मनोनीत सदस्य बनाकर उन्हें नगर निगम सदन में समायोजित करती है| हेमंत ने नगर निगम में मनोनीत सदयों की शपथ के बारे में एक रोचक परन्तु महत्वपूर्ण जानकारी देते हुए बताया कि हरियाणा नगर निगम कानून, 1994 की मौजूदा धारा 33 में, जिसे वर्ष 2018 में पूर्णतया संशोधित कर दिया गया था, में केवल निर्वाचित नगर निगम सदस्यों ( जिन्हें आम भाषा में पार्षद/म्युनिसिपल कौंसलर- एम.सी. कहते हैं हालांकि हरियाणा नगर निगम कानून में पार्षद या कौंसलर शब्द ही नहीं है ) और प्रत्यक्ष निर्वाचित मेयर को ही शपथ दिलवाने का उल्लेख है क्योंकि उसमें केवल निर्वाचित (एलेक्टेड) शब्द का उल्लेख किया गया है. यही नहीं धारा 33 में जो शपथ का प्रारूप (ड्राफ्ट/फॉर्मेट ) है उसमें भी आरम्भ में केवल इलेक्टेड (निर्वाचित ) शब्द का ही प्रयोग किया गया है, नॉमिनेटेड (मनोनीत ) शब्द का नहीं. उक्त संशोधन से पहले धारा 33 में भी केवल निर्वाचित सदस्यों को शपथ दिलवाने का उल्लेख था परन्तु नगर निगम कानून में मेयर के प्रत्यक्ष चुनाव का प्रावधान करने के बाद वर्ष 2018 में धारा 33 में संशोधन कर निर्वाचित सदस्यों के साथ साथ निर्वाचित मेयर का भी उल्लेख कर दिया गया हालांकि मनोनीत सदस्य का उल्लेख न तो वर्ष 2018 से पहले की धारा 33 में और न वर्तमान संशोधन धारा 33 में किया गया है. अब चूँकि इस धारा में नॉमिनेटेड (मनोनीत ) शब्द का उल्लेख नहीं किया गया है, इसलिए नगर निगम मेयर राज्य सरकार द्वारा तीन मनोनीत सदस्यों को शपथ दिलाते हुए स्वयं अपनी ओर से ही शपथ के प्ररूप में नॉमिनेटेड (मनोनीत) शब्द नहीं जोड़ सकती है एवं इसके लिए बकायेगा हरियाणा विधानसभा द्वारा उपरोक्त वर्ष 1994 नगर निगम कानून की धारा 33 में उपयुक्त संसोधन करना पड़ेगा| इस आशय में हेमंत ने भारतीय संविधान की तीसरी अनुसूची का हवाला देते हुए बताया कि उसमें संसद और राज्य विधानमंडलों के सदस्यों की शपथ के बारे में दिए गए प्ररूप में निर्वाचित अथवा मनोनीत सदस्य होने का विकल्प स्पष्ट तौर पर दिया गया है. ठीक ऐसा ही उल्लेख हरियाणा नगर निगम कानून, 1994 की धारा 33 में भी किया जाना बनता है | जहाँ तक हरियाणा नगर निगम निर्वाचन नियमावली, 1994 के नियम 71(4) में नगर निगम मेयर द्वारा मनोनीत सदस्य को शपथ दिलवाने सम्बन्धी किये गए सन्दर्भ का विषय है, इस पर हेमन्त ने बताया कि अगर किसी विषय पर कानून की किसी धारा और उस कानून के अंतर्गत बनाये गये नियम में किसी प्रकार का विरोधाभास हो, तो ऐसी परिस्थिति में कानूनी धारा ही मान्य.लागू होती है जैसा सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए कईं निर्णयों से भी स्पष्ट होता है चूँकि कानून को विधानसभा या संसद द्वारा बनाया किया जाता है जबकि उस कानून के अंतर्गत निगम राज्य/केंद्र सरकार द्वारा बनाये जाते हैं| हेमंत ने बताया कि नगर निगम में मनोनीत तीनो सदस्य सदन की किसी भी बैठक, चाहे सामान्य या विशेष, में वोट नहीं डाल सकते हैं. इस बारे में भारत के संविधान और हरियाणा नगर निगम कानून में स्पष्ट उल्लेख हैं. यही नहीं मनोनीत सदस्य सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर का चुनाव भी नहीं लड़ सकते हैं. चूँकि मनोनीत सदस्यों को वोटिंग अधिकार नहीं है, इसलिए वह नगर निगम की विभिन्न कमेटियों (समितियों ) के सदस्य भी नहीं बन सकते है. जहाँ तक स्थानीय सांसद और विधायक का विषय है, उन्हें सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर के निर्वाचन और उन्हें पद से हटाने सम्बन्धी प्रस्ताव को छोड़कर अन्य विषयों पर वोट डालने का अधिकार होता है. हालांकि यह और बात है सांसद और विधायक सामान्यत: नगर निगम की बैठकों में शामिल नहीं होते है|