अध्यापक का फर्ज है कि वह अपनी शिक्षण विधि पर विचार करें और बच्चों के हित को देखते हुए अपने विचारों को रुचिपूर्ण बनाकर बच्चों के सामने पेश करें-धर्मेंद्र चौधरी

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इन्द्री विजय काम्बोज

हरियाणा स्कूल शिक्षा परियोजना परिषद की ओर से स्थानीय राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में चल रही अध्यापक प्रशिक्षण कार्यशाला के दूसरे दिन खंड शिक्षा अधिकारी धर्मपाल चौधरी ने सभी पांच ग्रुपों के अध्यापकों से संवाद कर प्रशिक्षण की गुणवत्ता की फीडबैक ली।

ग्रुप में अध्यापकों से बातचीत करते हुए धर्मपाल चौधरी ने कहा कि पुस्तकों में लिखे गई ज्ञानवर्धक विचार यदि जीवन का हिस्सा नहीं बनते तो इन्हें पढ़ना बेकार ही कहा जाएगा। उन्होंने कहा कि शिक्षा इंसान को सामाजिक,
संवेदनशील, व्यवहारिक, ईमानदार, कर्मशील, निष्ठावान एवं तार्किक ज्ञान देकर समाज में उसका सही समायोजन के साथ रहना सिखाती है। उन्होंने कहा कि बच्चों के अंदर जीवन उपयोगी कौशलों का विकास करना अध्यापक की प्राथमिकताओं में शामिल होना चाहिए। उन्होंने कहा कि बच्चों के सीखने के लिए उचित वातावरण बनाकर प्रदान करना और स्वस्थ आदतों का विकास करना अध्यापक का पहला काम है। उन्होंने कहा कि बच्चों के मन को पढ़े बिना, उसे पढ़ाना-‘भैंस के आगे बीन बजाने’ समान माना जाएगा।
एफएलएन के खंड संयोजक धर्मेंद्र चौधरी ने कहा कि जब बच्चे अध्यापक द्वारा कक्षा कक्ष में करवाए गए कार्य को समझ नहीं पाए तो अध्यापक का फर्ज है कि वह अपनी शिक्षण विधि पर विचार करें और बच्चों के हित को देखते हुए अपने विचारों को रुचिपूर्ण बनाकर बच्चों के सामने पेश करें ताकि वह उसे आसानी से समझ सके।
प्रशिक्षण कार्यशाला में रविंद्र शिल्पी, डॉ. बारु राम, कविता ने शिक्षण में सहायक सामग्री के महत्व पर प्रकाश डाला। प्रशिक्षक युगल किशोर, नीतू, निशा, सुनंदा शर्मा, अनुपमा, सुखविंदर, रीना, प्रियंका, रजत शर्मा, अनिल आर्य एवं अंजू देवी ने ने अध्यापकों को शिक्षण की अलग-अलग की जानकारी दी। प्रशिक्षण कार्यशाला में शामिल अध्यापकों ने भी अपने-अपने कार्यों की प्रस्तुतियां अन्य अध्यापकों के समझ रखी।