सिंधु जल समझौते में भारत के साथ पानी के वितरण में हुआ पक्षपात: प्रो. अमित काम्बोज

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अधिवक्ता परिषद् करनाल ने उठाई सिंधु जल समझौते की पुनर्समीक्षा की मांग
करनाल विजय काम्बोज |। अधिवक्ता परिषद् करनाल इकाई द्वारा जिला अध्यक्ष नरेश कुमार राणा की अध्यक्षता में सिंधु जल समझौता (इंडस वॉटर ट्रीटी) विषय पर एक महत्वपूर्ण स्टडी सर्कल कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम के मुख्य वक्ता कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से सहायक प्रोफेसर अमित काम्बोज रहे, जिन्होंने सिंधु जल समझौते पर विस्तारपूर्वक प्रकाश डाला।
उन्होंने बताया कि यह समझौता भारत और पाकिस्तान के बीच मैत्रीपूर्ण संबंधों की दृष्टि से किया गया था, जिसमें विश्व बैंक ने मध्यस्थता की भूमिका निभाई थी। किंतु इस समझौते में भारत के साथ पानी के वितरण में पक्षपात किया गया, जिससे भारत को बहुत कम मात्रा में जल मिलने की व्यवस्था की गई, जबकि पाकिस्तान को अधिक जल आवंटित किया गया। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि वर्तमान परिप्रेक्ष्य में इस समझौते की पुनः समीक्षा करना आवश्यक है, ताकि देशहित में उचित निर्णय लिए जा सकें। वर्तमान परिस्थिति में सिंधु जल समझौता की पुन: समीक्षा कर देश हित में आगे कदम उठाये जाये। बता दें कि अधिवक्ता परिषद् करनाल इकाई ने सर्वप्रथम इस विषय पर हरियाणा में स्टडी सर्कल का कार्यक्रम किया है।

विषय पर कूटनीतिक, कानूनी एवं तकनीकी स्तर पर गंभीरता से विचार करे भारत
प्रोफेसर अमित काम्बोज ने ज़ोर देते हुए कहा कि वर्तमान वैश्विक एवं क्षेत्रीय परिस्थितियों, बदलते पर्यावरणीय परिदृश्य, पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय संबंधों की जटिलता, तथा भारत की बढ़ती जल आवश्यकता को देखते हुए इस समझौते की व्यापक समीक्षा आवश्यक हो गई है। काम्बोज ने सुझाव दिया कि यह समय की मांग है कि भारत इस विषय पर कूटनीतिक, कानूनी एवं तकनीकी स्तर पर गंभीरता से विचार करे, और यदि आवश्यक हो तो इस समझौते के प्रावधानों में संशोधन अथवा पुनः वार्ता की प्रक्रिया आरंभ करे। कार्यक्रम के अंत में सभी प्रतिभागियों ने देशहित में जल नीतियों की समीक्षा तथा सिंधु जल समझौते के व्यापक विश्लेषण पर संगठित रूप से विचार करने का संकल्प लिया।
ये रहे मौजूद
इस अवसर पर प्रांत महामंत्री अधिवक्ता परिषद् हरियाणा अशोक सिरसी, न्यायप्रवाह प्रमुख कैलाश चौहान, जिला अध्यक्ष नरेश राणा, राहुल बाली, मुकेश रानी, रूबी शर्मा, रेखा कौशिक, प्रशांत पाहवा, रोबिन कैमला, यशबीर सिंह, योगिंदर मेहला, प्रदीप राणा, शक्ति सिंह सहित बड़ी संख्या में अधिवक्तागण उपस्थित रहे।