भाजपा में समर्पित और निष्ठावान कार्यकर्ताओं की हो रही है घोर उपेक्षा : राजकुमार शर्मा

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रामकुमार कश्यप की उम्मीदवारी के विरोध में भाजपा नेता राजकुमार शर्मा ने छोड़ी पार्टी
बाहरी प्रत्याशियो को सिखाएंगे सबक, भाजपा की ऑयडोलॉजी को पहुंचा आघात
करनाल  विजय काम्बोज : इंद्री विधानसभा क्षेत्र में अपनी चौधर अपना हल्का अभियान चलाने वाले भाजपा के वरिष्ठ नेता राजकुमार शर्मा ने पार्टी को अलविदा कह दिया। उन्होंने कहा कि कब तक भाजपा के स्थानीय नेता दरिया बिछाते रहेंगे। जब टिकट की बात आती है तो दूसरे दलों से आयतित नेताओं को टिकट दे दी जाती है। यह इंद्री का दुर्भाग्य है कि यहां पर अधिकतर बाहर के प्रत्याशी ही चुनाव जीतते आए है। उन्होंने कहा कि भाजपा अब भानुमति का कुनबा बनकर रह गई है। यदि हाल ही में टिकट वितरण की बात की जाएं तो केवल सात लोग ही ऐसे है। जोकि भाजपा के कर्मठ और समर्पित कार्यकर्ता है बाकि सारे दलबदल और दूसरे दलों से आयतित नेता है। क्या भाजपा में समर्पित और निष्ठवान कार्यकर्ताओं का अभाव है। उन्होंने घोषणा की कि वह इंद्री हल्का से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ेंगे। उन्होंने बताया कि वह 1994 से राजनीति में है। पहला चुनाव उन्होंने जिला परिषद का लड़ा था। उसके बाद 2004 में लोकसभा का चुनाव लड़ा। जिसमें उनको एक लाख वोट मिले थे। उन्होंने भाजपा की नीतियों और राष्ट्रवाद से प्रभावित होकर अटल जी के समय में भाजपा ज्वाईन की थी। उस समय उन्होंने तय किया कि वह पार्टी नहीं छोंड़ेगे। भाजपा में वह प्रदेश मीडिया प्रभारी बुद्धिजीवी प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक बाद में राष्ट्रीय सह-संयोजक रहे। भाजपा के राज में वह डिप्टी एडवोकेट जनरल भी रहे। वह संघ के सहकारिता विभाग के प्रमुख भी रहे। उन्होंने कहा कि आज भाजपा परिवारवाद और दल बदलूओं की दल-दल में फंसकर रह गई है। पुरानी भाजपा खत्म हो गई है। जिस समय उन्होंने भाजपा ज्वाईन की उस समय संजय जोशी संगठन मंत्री हुआ करते थे। उन्होंने कहा कि जिस तरह से पार्टी नेतृत्व ने टिकट बांटे है। उससे पार्टी की ऑयडोलॉजी को आघात पहुंचा है। वह भारी प्रत्याशी इंद्री में सहन नहीं करेंगे। एक तरफ प्रधानमंत्री 75 साल से अधिक उम्र के नेताओं को मार्गदर्शक मंडल में जाने की सालाह देते है। दूसरी तरफ रामकुमार कश्यप को 75 साल की उम्र में टिकट दे देते है। यह दौहरी नीति सहन नहीं होगी। उन्होंने अपनी चौधर अपना हल्का अभियान को लेकर 100 से अधिक गांव में जनसम्पर्क किया है। वह इसी आवाज को बुलंद करने के लिए चुनाव मैदान में उतरेंगे।