जुंडला काम्बोज || दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा ग्राम जुंडला स्थित बाला सुंदरी मंदिर, असंध रोड, करनाल में चल रही भगवान शिव कथा के दूसरे दिवस में परम वंदनीया दिव्य गुरु श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या कथा व्यास साध्वी सुश्री सरोज भारती जी ने माता पार्वती जन्म प्रसंग का भावपूर्ण वर्णन किया।
साध्वी जी ने कहा कि माता सती ने जब भगवान श्रीराम की परीक्षा ली, तो उस संशय के कारण उन्हें भगवान शिव से वियोग सहना पड़ा। आत्मग्लानि में उन्होंने अपने शरीर का त्याग किया, किंतु अंतिम क्षणों में उनका ध्यान भगवान शिव में ही लगा रहा। उसी अंतिम स्मरण के प्रभाव से उन्हें पार्वती रूप में पुनर्जन्म प्राप्त हुआ, और इसी जन्म में उन्होंने भगवान शिव की आराधना कर पुनः उन्हें प्राप्त किया।
कथा व्यास जी ने समझाया कि यह प्रसंग केवल एक देवी कथा नहीं, बल्कि मानव जीवन के लिए भी एक गहरा संदेश है — जैसा अंतिम चिंतन होता है, वैसी ही गति प्राप्त होती है। इसलिए जीवन के प्रत्येक क्षण में ईश्वर का स्मरण, मन की शुद्धि और विचारों की पवित्रता अत्यंत आवश्यक है।
कथा के दौरान भक्ति गीतों और शिव स्तुति से वातावरण अत्यंत भावपूर्ण बन गया। साध्वी जी ने श्रद्धालुओं से आग्रह किया कि जैसे सती ने अपने संशय को भक्ति में परिवर्तित किया, वैसे ही हमें भी जीवन में अपने संदेहों को श्रद्धा में बदलना चाहिए।
कार्यक्रम का समापन आरती और हर हर महादेव के गूंजते जयघोषों के साथ हुआ।









