बराडा(जयबीर राणा थंबड)
उपमंडल अधिकारी (ना.) सतीन्द्र सिवाच की अध्यक्षता में शुक्रवार को एसडीएम कार्यालय में फसल अवशेष प्रबंधन पर बैठक हुई। बैठक में पुलिस, कृषि, पंचायत और शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने भाग लिया। बैठक में अधिकारियों को निर्देश दिया गया कि वे अपने-अपने क्षेत्र में किसानों को पराली प्रबंधन के तरीकों के बारे में जागरूक करें। इसके लिए गांव स्तर पर मुनादी, नुक्कड़ सभाएँ, स्कूल और कॉलेज व्याख्यान जैसी गतिविधियाँ आयोजित करने की बात कही गई। अधिकारियों ने बताया कि धान की कटाई के बाद पराली जलाना न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुँचाता है, बल्कि भूमि की उर्वरक क्षमता भी घटती है। मिट्टी में अवशेष दबाने से फसल उत्पादन बेहतर होता है। किसानों को सुपरसीडर और डिकॉम्पोज़र जैसे विकल्प अपनाने की सलाह दी गई। प्रशासन ने स्पष्ट किया कि पराली जलाना वायु प्रदूषण (निवारण और नियंत्रण) अधिनियम तथा भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धारा 163 का उल्लंघन है। दोषी पाए जाने पर किसानों पर 5,000 से 30,000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है और एफआईआर भी दर्ज होगी। इसके अलावा, “मेरी फसल मेरा ब्यौरा” पोर्टल पर प्रविष्टि होने पर ऐसे किसान अपनी फसल दो वर्षों तक मंडी में नहीं बेच पाएंगे। कृषि विभाग के अधिकारियों ने यह भी बताया कि हरियाणा सरकार पराली न जलाने वाले किसानों को प्रति एकड़ 1,200 रुपये की प्रोत्साहन राशि देगी। हालांकि, बैठक में यह सवाल अनुत्तरित रहा कि क्या यह प्रोत्साहन और जागरूकता अभियान किसानों की वास्तविक कठिनाइयों, जैसे श्रम और मशीनरी की लागत को संतुलित कर पाएंगे।









