इंद्री विजय काम्बोज । कृषि उपनिदेशक डॉ वजीर सिंह के निर्देशानुसार खंड कृषि अधिकारी डॉ अश्विनी कुमार के मार्गदर्शन में गांव चन्द्राव, चोगांवा, धुमसी, नन्हेड़ा, मुरादगढ़, कलसौरा, जैनपुर, बुटानखेड़ी, दमनहेड़ी सहित अन्य गांवों में किसान जागरूकता शिविरों का आयोजन किया गया।
कृषि विकास अधिकारी सचिन कम्बोज ने बताया कि विभाग द्वारा फसल अवशेष प्रबन्धन तथा अन्य योजनाओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी। बताया गया कि फसल अवशेष जलाने से हमारा वातावरण दूषित होता है जिसकी वजह से हम सभी को कईं बीमारियों का सामना करना पड़ता है। उन्होंने बताया कि फसल अवशेष जलाने से शत-प्रतिशत नाइट्रोजन व काफी मात्रा में सल्फर का नुकसान होता है तथा इसके साथ-साथ जैविक पदार्थ नष्ट हो जाते हैं। उन्होंने बताया कि फसल अवशेष जलाने से कार्बन मोनोऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड, राख, मीथेन व अन्य अशुद्धियां उत्पन्न होती है। इससे वायु प्रदूषण बढ़ता है।
फसल अवशेष न जलाए, बल्कि आधुनिक उपकरणों से करें प्रबंधन
जागरूकता शिविरों के दौरान कृषि विकास अधिकारी डॉ. सचिन कांबोज ने किसानों से आह्वान किया कि खेतों में फसल कटाई के बाद फानों में आग न लगाएं, बल्कि उनका खेत में ही समुचित प्रबंधन करें। फसल अवशेष जलाने से उत्पन्न होने वाले धुएं के कारण हमारा पर्यावरण लगातार दूषित होता जा रहा है, जिसकी वजह से अनेक जानलेवा बीमारियां पैदा होती है। उन्होंने कहा कि किसान सुपर सीडर की मदद से खेत में ही फसल अवशेषों का प्रबंधन कर आसानी से फसल की बिजाई कर सकते हैं, ऐसा करने से हमारी जमीन की उर्वरा शक्ति भी बढ़ती है। सुपर सीडर की मदद से फसल अवशेष पूरी तरह मिट्टी में मिल जाते हैं।









