इन्द्री विजय काम्बोज ||
श्री महालक्ष्मी मंदिर मुरादगढ़ में देवउठनी एकादशी का पर्व बड़ी श्रद्धा व धूमधाम से मनाया गया। पूरे विधि विधान के साथ तुलसी पूजन किया गया। इस बारे में जानकारी देते हुए महालक्ष्मी मंदिर के संचालक भगत जोगिन्द्र जी ने बताया कि हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवउठनी एकादशी मनाई जाती है। तदनुसार, इस वर्ष देवउठनी एकादशी 12 नवंबर को मनाई जा रही है। इस तिथि पर जगत के पालनहार भगवन विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करने का विधान है। उन्होंने बताया कि देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु 4 महीने की योगनिद्रा के बाद जागते हैं और इसके बाद शुभ-मांगलिक कार्य फिर से शुरू हो जाते हैं। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवउठनी या प्रबोधिनी एकादशी मनाई जाती है। भगत जी ने बताया कि सनातन धर्म में कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को तुलसी विवाह मनाया जाता है। आज के दिन भगवान विष्णु के स्वरूप शालिग्राम से मां तुलसी का विवाह कराया जाता है. तुलसी जी का विवाह करने से घर में सौभाग्य, सुख-समृद्धि आती है। नियमों के अनुसार तुलसी जी और शालिग्राम का विवाह कराने से तुलसी माता प्रसन्न होकर अपना आशीर्वाद देती हैं ओर हर मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। इस मौके पर काफी संख्या में श्रद्धालु महिलाएं व पुरूष मौजूद रहे।