कृषि विकास अधिकारी डॉ. सचिन काम्बोज ने बताया कि फसल अवशेष जलाने से हमारी भूमि की उर्वरा शक्ति कम होती है और इसके साथ-साथ हमारी पैदावार में कमी आती है। उन्होंने कहा कि फसल अवशेषों को कम्पोस्ट खाद के रूप में प्रयोग किया जा सकता है तथा इन अवशेषों को मिट्टी में मिलाने से जैविक कार्बन की मात्रा में वृद्धि होती है। मिट्टी सतह पर फसल अवशेष रहने से खरपतवारों को रोकने में महत्वपूर्ण सहयोग मिलता है तथा पशु चारे की उपलब्धता में बढ़ोतरी होती है।
उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा किसानों के हित में अनेकों योजनाएं चलाई है, जिनका लाभ किसान ले सकते हैं। सरकार द्वारा किसानों को अनुदान पर कृषि यंत्र उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। हमें फसल कटाई उपरांत फसल अवशेषों को जलाना नहीं चाहिए अपितु इन्हें कृषि यंत्रों की सहायता से भूमि में ही मिलाना चाहिए। जागरूकता रैली में बताया कि जो किसान फसल अवशेषों को जलाने की बजाय उनका उचित प्रबंधन करता है, उस किसान को कृषि विभाग की ओर से एक हजार रुपये प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि देने का प्रावधान है। इसलिए किसान फसल अवशेषों को न जलाए यदि किसान फसल अवशेषों को जलाएगा तो उसके खिलाफ नियमानुसार कार्यवाही अमल में लाई जाएगी।
राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय गढीबीरबल में फसल अवशेष प्रबंधन को लेकर जागरूकता रैली का किया आयोजन
इन्द्री विजय काम्बोज ||
कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के उप निदेशक कृषि डॉ.वजीर सिंह के निर्देशानुसार व खंड कृषि अधिकारी डॉ. अश्वनी कुमार के मार्गदर्शन में विभाग के अधिकारियों द्वारा उपमंडल इन्द्री के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय गढीबीरबल में फसल अवशेष प्रबंधन को लेकर जागरूकता रैली का आयोजन किया गया। इस अवशेष प्रबंधन जागरूकता रैली में कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारियों सहित स्कूल के बच्चों के भाग लिया। कृषि विकास अधिकारी डॉ. सचिन काम्बोज ने बच्चों को सम्बोधित करते हुए कहा कि विद्यार्थी अपने अभिभावकों व किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन के प्रति जागरूक कर उन्हें खेतों में फसल अवशेष जलाने से रोकने मेंं अपनी विशेष भूमिका अदा कर सकते हंै। विद्यार्थी अपने गांव के किसानों को फसल अवशेष न जलाने के प्रति प्रेरित कर उन्हें फसलों एवं उपजाऊ भूमि में होने वाले नुकसान के बारे बता सकते हैं। उन्होंने बच्चों को बताया कि फसल अवशेष जलाने से पर्यावरण को भारी नुकसान होता है। अवशेषों को जलाने से निकलने वाले धुएं से हवा में कार्बन, नाइट्रोजन तथा हाइड्रोकार्बन की मात्रा बढ़ जाती है एवं प्रदूषण में वृद्धि होती है। जिसकी वजह से आंखों में जलन होने के साथ-साथ मनुष्य व पशुओं के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।