डी.एस.सी. एकता मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष तेजिंद्र सिंह तेजी का आरोप आजादी के बाद से ही दलित जातियों से भेदभाव करती रही कांग्रेस
करनाल विजय कांबोज।। डी.एस.सी. एकता मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष तेजिंद्र सिंह तेजी ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री एवं वर्तमान केंद्रीय ऊर्जा एवं शहरी विकास मंत्री मनोहरलाल ने वाल्मीकि समाज सहित करीब 42 दलित जातियों के उद्धार को लेकर डी.एस.सी. शब्द की उत्पत्ति की। 15 मई 2020 को तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहरलाल ने देश में पहली बार हरियाणा राज्य में अनुसूचित वंचित जातियों में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए आरक्षण में वर्गीकरण की पैरवी की थी। उन्होंने अनुसूचित वंचित जातियां (डी.एस.सी.-डिप्राइव्ड शेड्यूल्ड कास्ट) के बच्चों के शिक्षा में समान अधिकार दिया। इससे डी.एस.सी. समाज की करीब 42 जातियों के हजारों बच्चों का भविष्य संवरने की उम्मीद जाग गई। यही वजह रही कि यह समाज सदैव-सदैव के लिए मनोहरलाल का आभारी हो गया है। इसका परिणाम 2024 के लोकसभा चुनाव में सामने आया और डी.एस.सी. समाज खुलकर मनोहरलाल के साथ कदम मिलाकर चला है।
तेजी ने कहा कि अधिकारों की लड़ाई में आरक्षण में वर्गीकरण की मांग संयुक्त पंजाब में उठी थी। 1975 में जब ज्ञानी जैल सिंह पंजाब के सीएम थे, तब यह आरक्षण वाल्मीकि व मजहबी जातियों के लिए लागू हो गया था, जिनकी पंजाब में जनसंख्या करीब 17 प्रतिशत है। हरियाणा में डी.एस.सी. की संख्या करीब 35 लाख हैं, इनमें वाल्मीकि, धानक, बाजीगर, खटीक, पासी, सैंसी व अन्य जातियां आती हैं। 1994 में हरियाणा में पंजाब की तर्ज पर यह आरक्षण वर्गीकरण में समानुपात लागू हो गया था, जो 2006 तक रहा। कांग्रेस सरकार ने इसे खत्म कर दिया था। तबसे समाज सडक़ों पर था। उनका आरोप है कि कांग्रेस ने इस समाज को वोटों के लिए तो इस्तेमाल किया लेकिन इसके हित पर कुठाराघात किया। कांग्रेस नहीं चाहती थी कि कभी इस समाज का उद्धार हो। वर्ष 2014 में जब हरियाणा में भाजपा के संकल्प पत्र में पंक्ति में अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति के उत्थान की बात से प्रभावित होकर यह समाज भाजपा की तरफ रुख कर गया। 2019 में भी यह समाज भाजपा के साथ रहा। तब इनकी निष्ठा से प्रभावित होकर मनोहरलाल ने फैसला करते हुए इनकी मांग को सिरे चढ़ाया।
उन्होंने कहा कि 1 अगस्त 2024 को सर्वोच्च न्यायालय की 7 बैंच का फैसला आया कि आरक्षण में वर्गीकरण किया जा सकता है। राज्यों को डायरेक्शन दी कि स्थिति को देखें जो वर्ग बहुत पीछे रह गया है, उसे मुख्यधारा में लाने के लिए वर्गीकरण करना जरूरी है। स्टेट को इसका अधिकार है। हरियाणा में 17 अगस्त 2024 को केबिनेट की बैठक में अनुसूचित जाति आयोग की रिपोर्ट को स्वीकार करते हुए सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय को लागू करने के लिए प्रस्ताव पारित कर दिया। तभी चुनाव आचार संहिता लग जाने के कारण नोटिफिकेशन जारी करने की प्रक्रिया रुक गई थी। चूंकि अब फिर वि.स. चुनाव में भाजपा को हरियाणा में पूर्ण बहुमत मिल गया है, इसलिए डी.एस.सी. एकता मंच को उम्मीद है कि पहली कलम से यह नोटिफिकेशन जारी होगा। बीती 16 अगस्त को इंद्री की अनाज मंडी में जन आशीर्वाद रैली में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के समक्ष डी.एस.सी. समाज के समौरा गांव के बच्चे शक्ति सिंह ने गुल्लक के पैसों से खरीदा पैन भेंट का उनकी तकदीर लिखने की अपील की थी। सी.एम. ने तभी मंच से घोषणा की थी कि भाजपा ही इसे लागू करेगी। 18 वर्ष के संघर्ष के बाद डी.एस.सी. समाज के लोगों को सी.एम. सैनी के आश्वासन से पक्की उम्मीद जग गई थी।