पराली जलाने की घटनाओं पर रोक लगाने के लिए डीसी ने नीलोखेड़ी क्षेत्र के गांवों में निकाला फ्लैग मार्च

पराली जलाने की एक भी घटना न आए सामने, ऐसा करने वालों पर होगी सख्त कार्रवाई

डीसी उत्तम सिंह के साथ एसपी मोहित हांडा, एडीसी यश जालुका भी रहे साथ

करनाल विजय काम्बोज ||     फसल की कटाई के बाद पराली में आग लगाने की घटनाओं पर पूरी तरह से रोक लगाने के लिए जिला प्रशासन करनाल ने सख्त रूक अख्तियार कर रखा है। डीसी उत्तम सिंह ने स्वयं इसकी कमान संभाल रखी है। सोमवार को उन्होंने नीलोखेड़ी क्षेत्र के विभिन्न गांवों का दौरा किया और फ्लैग मार्च निकाला।

डीसी उत्तम सिंह के साथ एसपी मोहित हांडा, एडीसी यश जालुका और डीडी एग्रीकल्चर वजीर सिंह भी साथ रहे। उन्होंने जांबा, सांवत, धोलपुरा, बोहला खालसा, मोहड़ी, सीतामाई, अमूपुर, माजरा रोड़ान और निगदू का दौरा किया। उपायुक्त ने किसानों को सख्त चेतावनी देते हुए कहा कि पराली में आगजनी को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। जो भी किसान इन आदेशों की उल्लंघना करेगा तो उस पर न केवल जुर्माना लगाया जाएगा, बल्कि एफआईआर दर्ज करवाकर भी उचित कानूनी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने किसानों से अपील की कि वे फसल अवशेष प्रबंधन को अपनाएं और पराली में आग लगाने के बजाए, उसे अपनी आय का साधन बनाएं। डीसी उत्तम सिंह ने कहा कि करनाल जिला में पराली जलाने की घटनाओं में पिछले वर्षों की अपेक्षा कमी आई है। इस वर्ष हमें पराली जलाने की घटनाओं को शून्य करना है। यह हमारे लिए भी हितकारी है और पर्यावरण व मिट्टी के लिए भी लाभदायक है।

पराली जलाने की घटनाओं पर नजर रखें अधिकारीः डीसी

डीसी उत्तम सिंह ने किसानों को पराली में आग न लगाने के लिए सचेत किया। साथ ही साथ ड्यूटी पर लगे सभी अधिकारियों व कर्मचारियों को सख्त निर्देश दिए कि पराली में आगजनी रोकने के लिए किसी प्रकार की लापरवाही न बरती जाए। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा पराली में आग लगाने पर पूर्णत: रोक लगाई हुई है, इसलिए किसी भी सूरत में किसान पराली में आग न लगाएं, बल्कि सरकार की फसल अवशेष प्रबंधन योजना के तहत दिए जा रहे विभिन्न कृषि यंत्रों के जरिये या तो खेत में ही उनका निष्पादन करें या पराली की गांठें बनाकर उनकी बिक्री करें। इससे किसानों को दोहरा लाभ होगा और पर्यावरण दूषित होने से भी बचेगा।

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