पोलिंग एजेंट उसी हलके का होना जरूरी: गौरव

पीओ और एपीओ को प्रशिक्षण

करनाल। विधानसभा चुनाव के दृष्टिगत आज यहां दूसरे दिन भी डा. मंगलसेन सभागार में पीठासीन(पीओ) और वैकल्पिक पीठासीन अधिकारियों(एपीओ) को चुनावी प्रकिया संबंधी प्रशिक्षण दिया गया। अपील की गई कि स्वतंत्र, निष्पक्ष एवं शांतिपूर्वक ढंग से चुनाव संपन्न कराने के लिये वे अपने दायित्वों का पूरी निष्ठा व ईमानदारी से निवर्हन करें।
प्रशिक्षण के नोडल अधिकारी एवं जिला परिषद के सीईओ गौरव कुमार ने कहा कि पीओ को मतदान से एक दिन पूर्व पोलिंग पार्टी के साथ मतदान केंद्र पर पहुंचना जरूरी है। साथ ही यह सुनिश्चित करना है कि मतदान केंद्र में अलग-अलग प्रवेश और निकास द्वार, पर्याप्त रोशनी आदि की व्यवस्था हो। वोटिंग कंपार्टमेंट इस ढंग से बनाया जाये कि वह खिडक़ी के पास न हो, वीवीपैट पर सीधी रोशनी न पड़े। पोलिंग एजेंट के बैठने की व्यवस्था इस ढंग से हो कि मतदान की गोपनीयता पर असर न पड़े। उन्होंने कहा कि मतदाता की चौथी अंगुली पर अमिट स्याही से निशान लगाया जाये। किसी कारणवश चौथी अंगुली नहीं है तो समानांतर ढंग से तीसरी, दूसरी, पहली या अंगूठे पर स्याही लगाई जाये। हाथ न होने पर कुहनी पर स्याही लगाई जा सकती है।
पोलिंग एजेंट उसी हलके का हो
उन्होंने कहा कि प्रत्याशी अथवा उसके चुनाव एजेंट की तरफ से नियुक्त पोलिंग एजेंट उस हलके का मतदाता होना जरूरी है। विधायक, सांसद, मंत्री, सरकारी कर्मचारी, पैरा मेडिकल व स्वास्थ्य अधिकारी, आंगनवाड़ी वर्कर पोलिंग एजेंट नहीं बन सकते। पंच-सरपंच अथवा पार्षदों पर ऐसी मनाही नहीं है, वे एजेंट बन सकते हैं। उन्होंने कहा कि पीओ, ऑब्जर्वर व माइक्रो ऑब्जर्वर साइलेंट मोड में मोबाइल का उपयोग कर सकते हैं।
मॉक पोल के लिये 50 वोट डालना जरूरी
नोडल अधिकारी ने कहा कि मतदान आरंभ होने से 90 मिनट पहले पोलिंग एजेंट की मौजूदगी में मॉक पोल प्रक्रिया शुरू की जानी चाहिये। यदि पोलिंग एजेंट समय पर न पहुंचे तो 15 मिनट इंतजार करने के बाद सुपरवाइजर अथवा सेक्टर अधिकारी को बुलाकर प्रक्रिया शुरू की जा सकती है। हर प्रत्याशी को कम से कम एक वोट डालते हुये कम से कम 50 वोट डालना जरूरी है। कंट्रोल यूनिट(सीयू)के परिणाम से वीवीपैट की पर्चियों का मिलान करें। सही मिलान होने के बाद सीयू को सील करें और वीवीपैट से निकाली गई पर्चियों को भी संभाल कर रखें। प्रक्रिया संपन्न होने के बाद पोलिंग एजेंट के दस्तखत करायें और मॉक पोल सर्टिफिकेट भरें।
मॉक पोल व मतदान के दौरान मशीन खराब होने पर
उन्होंने बताया कि मॉक पोल के दौरान यदि सीयू (कंट्रोल यूनिट), बीयू (बैलेट यूनिट) अथवा वीवीपैट खराब होती है तो केवल खराब यूनिट को ही बदला जाये। यदि मतदान के दौरान तीनों में से कोई भी एक खराब होती है तो पूरा सेट (बीयू, सीयू व वीवीपैट) को बदलना होगा। ऐसी स्थिति में मॉक पोल की प्रक्रिया पुन: दोहराई जायेगी।
मतदान में प्रवेश के लिये कौन अधिकृत
गौरव कुमार ने बताया कि मतदान केंद्र में प्रत्याशी अथवा उसके एजेंट के अलावा आयोग की ओर से अधिकृत मीडिया कर्मचारी, ड्यूटी पर तैनात सरकारी कर्मचारी, पर्यवेक्षक, माइक्रो पर्यवेक्षक, वीडियोग्राफर, फोटोग्राफर, वेब कास्टिंग स्टाफ, गोद में बच्चा लिये वोटिंग के लिये पहुंचा मतदाता, नेत्रहीन के साथ उसका सहयोगी प्रवेश कर सकते हैं। लेकिन मीडिया कर्मचारी मतदान केंद्र के गेट से ही तस्वीरें अथवा वीडियोग्राफी कर सकता है। किसी पुलिस कर्मचारी अथवा अधिकारी को मतदान केंद्र के अंदर आने की मनाही है। मतदान की गोपनीयता किसी भी सूरत में भंग नहीं होनी चाहिये।
एएसडी सूची
उन्होंने बताया कि ए. एस. डी(एबसेंट, शिफ्टिड, डेड) वोटर्स की सूची पीओ को अन्य चुनाव सामग्री के साथ उपलब्ध करा दी जायेगी। सूची में दर्ज कोई व्यक्ति फिर भी मतदान की जिद करे तो उसकी पहचान के लिये पोलिंग एजेंट की सहायता लें। उस व्यक्ति से एनेक्सचर 14 में डिक्लेरेशन लें। दावा  सही है तो उसका फोटो भी लें और फार्म 17 ए में दस्तखत व अंगूठे का निशान लगवायें।
चेलेंज्ड वोट और टेंडर वोट
उन्होंने बताया कि पोलिंग एजेंट द्वारा किसी व्यक्ति के वोट को चुनौती दी जाती है तो उसे 2 रुपये बतौर सिक्योरिटी राशि जमा करानी होगी। जांच में पोलिंग एजेंट का दावा सही पाया जाता है तो वोटर को मतदान से रोक कर उसे पुलिस के हवाले कर दिया जाये। यदि दावा झूठा पाया जाये तो वोटर को वोट डालने दिया जाये और दो रुपये की राशि जब्त कर ली जाये। ऐसी स्थिति में फार्म नंबर 14 में पूरा ब्यौरा दर्ज किया जाये। इसी प्रकार टेंडर वोट में वोटर का दावा सही पाया जाये तो उसे टेंडर बेल्ट पेपर के जरिये वोट डालने दिया जाये। दावा फर्जी पाये जाने पर उसे पुलिस के हवाले किया जाये और पूरा ब्यौरा फार्म 17 बी में दर्ज किया जाये।
नेत्रहीन व अशक्त मतदाता
नोडल अधिकारी के अनुसार नेत्रहीन व अशक्त मतदाता अपने सहयोगी को मतदान कक्ष तक ले जा सकते हैं लेकिन यह सहयोगी 18 साल से कम आयु का न हो। यह भी जरूरी है कि एक व्यक्ति एक से अधिक नेत्रहीन अथवा अशक्त मतदाता का सहयोगी नहीं बन सकता। सहयोगी के दायें हाथ पर स्याही का निशान लगाकर उससे डिक्लेरेशन लेना भी अनिवार्य है।
लाईन में लगे हर मतदाता की वोट डलवाना जरूरी
उन्होंने बताया कि यदि मतदान समय खत्म होने के बाद भी वोटर्स की लाईन लगी हो तो सभी के वोट डलवाना जरूरी है। इसके लिये सबसे पहले परिसर के मुख्य गेट को बंद कराया जाये, फिर पंक्ति में खड़े अंतिम व्यक्ति को क्रमांक एक लिखी पर्ची दी जाये। बढ़ते क्रम में अन्य मतदाताओं को भी पर्ची देकर मतदान कराया जाये। ऐसे सभी मतदाताओं का ब्यौरा निर्धारित फार्म में दर्ज किया जाये। मतदान समाप्ति के बाद फार्म 17 सी की प्रति एजेंट को भी दी जाये। उन्होंने पीओ व एपीओ को किसी लिफाफे में कौन सा फार्म किस रंग के लिफाफे में डाला जाना है, इसकी भी जानकारी दी। साथ ही मतदाताओं की सहायता के लिए मतदान केंद्र से बाहर सहायता बूथ भी स्थापित करने को कहा। बताया कि मतदान केंद्र से 200 मीटर के दायरे में किसी भी राजनैतिक पार्टी द्वारा प्रचार करने पर रोक है।
मास्टर ट्रेनर अमरदीप ने सीयू, बीयू और वीवीपैट तथा सील लगाने के तरीके बारे बताया। इस मौके पर सहायक आयुक्त(प्रशिक्षणाधीन)योगेश सैनी , तहसीलदार जयवीर सिवाच(चुनाव)भी मौजूद रहे।

Loading

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!