प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी की अम्बाला शहर रैली से पहला ही चुनाव लड़ रही बंतो कटारिया के हौसले बुलंद
चंडीगढ़ विजय काम्बोज || शनिवार 18 मई को अम्बाला शहर के पुलिस लाइन मैदान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की निर्धारित चुनावी जनसभा से अंबाला ( अनुसूचित जाति – एससी आरक्षित) लोकसभा सीट से अपने जीवन का पहला ही चुनाव लड़ रही भाजपा प्रत्याशी बंतो देवी कटारिया के हौसले बुलंद हैं. इसी सप्ताह के आरम्भ में ही मोदी द्वारा अम्बाला लोकसभा हलके में चुनावी रैली करने का कार्यक्रम फाइनल हुआ जोकि बंतो के लिए एक प्रकार से वरदान साबित हुआ है.
शहर निवासी हाई कोर्ट एडवोकेट और राजनीतिक विश्लेषक हेमंत कुमार ने बताया कि अब इसे संयोग कहा जाए या फिर एक सोची समझी रणनीति कि 18वीं लोकसभा आम चुनाव के लिए 18 मई को अम्बाला शहर में मोदी की चुनावी रैली के दिन ही बंतो कटारिया के पति दिवंगत रतन लाल कटारिया की पहली बरसी भी है. गत वर्ष 18 मई 2023 को पीजीआई, चंडीगढ़ में कटारिया, जो तब अम्बाला से भाजपा सांसद थे, का निधन हो गया था जिस कारण गत एक वर्ष से अम्बाला लोकसभा सीट रिक्त है चूंकि इस सीट पर भारतीय चुनाव आयोग द्वारा किन्ही कारणों से उपचुनाव नहीं कराया गया.
सनद रहे कि रतन लाल कटारिया कुल तीन बार वर्ष 1999, 2014 और 2019 लोकसभा आम चुनाव में अंबाला संसदीय सीट से भाजपा के टिकट पर लोकसभा सांसद निर्वाचित हुए थे हालांकि वर्ष 2004 और 2009 लोकसभा आम चुनाव में उनकी पराजय हुई थी. इस प्रकार कटारिया के नाम अंबाला सीट से लगातार 5 लोकसभा चुनाव लड़ने का रिकॉर्ड है और आज अगर वह जीवित होते और उन्हें छठी बार अंबाला से भाजपा का टिकट मिलता, तो उनके पास जीत की हैट्रिक लगाने का अवसर होता जो रिकॉर्ड आज तक कांग्रेस के राम प्रकाश के ही नाम है जो वर्ष 1984, 1989 और 1991 में अंबाला से लगातार 3 लोकसभा चुनाव जीत कर सांसद बने थे हालांकि उन्होंने अम्बाला सीट से पहला चुनाव वर्ष 1971 में रिकॉर्ड 69 प्रतिशत वोट हासिल कर जीता था जिसकी उनके बाद आज तक इस सीट से कोई बराबरी नहीं कर पाया है.
हेमंत का मानना है कि इसमें कोई दोराय नहीं कि दस वर्ष पूर्व मई, 2014 में जब से नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बने, तब से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में सर्वत्र मोदी का ही वर्चस्व और जलवा चल रहा है और पार्टी टिकट पर चुनाव लड़ रहे हर प्रत्याशी की दिल से यही तमन्ना होती है कि किसी तरह मोदी स्वयं उनके चुनावी क्षेत्र में जनसभा या रोड- शो आदि कर प्रचार करें जिससे उनकी जीत सुनिश्चित हो सके चूँकि इसे एक प्रकार से भाजपा उम्मीदवार द्वारा उनकी जीत की गारंटी ही माना जाता है. उन्होंने बताया कि ऐसा कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि पहले निर्वाचित एम.पी.(सांसद) ही पी.एम. (प्रधानमन्त्री) को चुनते थे परन्तु मोदी युग में पी.एम. ही एम.पी. को जितवाते हैं.
बहरहाल, हेमंत ने आगे बताया कि पांच वर्ष पूर्व मई, 2019 में 17वीं लोकसभा के आम चुनाव में जब रतन लाल कटारिया, जो तब लगातार दूसरी बार और कुल तीसरी बार अम्बाला से भाजपा के टिकट पर लोकसभा सांसद निर्वाचित हुए थे तब उन्हें नरेन्द्र मोदी सरकार की दूसरी सरकार में जल शक्ति मंत्रालय और सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय में बतौर राज्य मंत्री बनाया गया था. हालांकि दो वर्ष बाद जुलाई, 2021 में जब मोदी सरकार-2 का पहला मंत्रिमंडल विस्तार और उसमें फेरबदल किया गया तो कटारिया को केंद्रीय राज्य मंत्री के पद से त्यागपत्र देना पड़ा था.
बहरहाल, हेमंत ने बताया कि अम्बाला लोकसभा सीट से भाजपा की
प्रत्याशी और दिवंगत रतन लाल कटारिया की धर्मपत्नी इसी माह 5 मई को 60 वर्ष आयु की हुईं बंतो देवी कटारिया, जो लॉ ग्रेजुएट अर्थत एडवोकेट भी हैं को वर्ष 2018 में भारत सरकार द्वारा गेल (गैस अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया लिमिटेड ) के बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर्स में बतौर गैर-सरकारी स्वतंत्र डायरेक्टर के रूप में मनोनीत किया गया था और उसके बाद गत वर्ष उन्हें हरियाणा सरकार द्वारा पंचकूला स्थित माता मनसा देवी पूजास्थल बोर्ड में गैर-सरकारी सदस्य के तौर पर भी मनोनीत किया गया था. बंतो के पुत्र 39 वर्षीय चंद्रकांत कटारिया दिसंबर, 2019 में हरियाणा सिविल सेवा (एचसीएस ) में चयनित होकर राज्य सरकार में क्लास वन प्रशासनिक अधिकारी हैं. वर्तमान में वह हरियाणा के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिक विभाग में बतौर ज्वाइंट डायरेक्टर तैनात है.
हेमंत ने बताया कि जहाँ तक अम्बाला लोक सीट से केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किये सांसदों का प्रश्न है, तो वैसे तो सबसे पहली बार आज से 28 वर्ष पूर्व मई, 1996 में अम्बाला से चौथी बार सांसद बने भाजपा के सूरज भान को केंद्र में तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी की पहली सरकार में केंद्रीय कृषि मंत्री अर्थात कैबिनेट रैंक का मंत्री बनाया गया था परन्तु यह सरकार 13 दिन में ही गिर गयी.
हालांकि भान बाद में एच.डी. देवगौड़ा सरकार बनने के बाद लोक सभा के उपाध्यक्ष निर्वाचित हो गए थे. इसके बाद फरवरी, 1998 में हुए लोकसभा आम चुनाव में सूरज भान बसपा के अमन कुमार नागरा से हार गए थे और इस कारण यह वाजपेयी की अगली 13 महीने की सरकार में मंत्री नहीं बन पाए. फिर 1999 लोक सभा चुनावो में उन्होने चुनाव नहीं लड़ा और अम्बाला से रतन लाल कटारिया पहली बार चुनाव जीते. वहीं दूसरी ओर कांग्रेस की कुमारी सैलजा जो अम्बाला सीट से लगातार दो लोकसभा चुनाव- वर्ष 2004 और 2009 में जीत कर सांसद बनी, उन्हें डॉ. मनमोहन सिंह की पहली यू.पी.ए.-1 सरकार में वर्ष 2004 -2009 तक केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और मई 2009 में यू.पी.ए. -2 सरकार में कैबिनेट रैंक का मंत्री बना दिया था जिस पद पर वह मई, 2014 तक रहीं.
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