हवन यज्ञ,हरि नाम दीक्षा के साथ श्रीमद् भागवत साप्ताहिक कथा को विराम दिया

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बराडा़ 16 मार्च(जयबीर राणा थंबड)
कस्बा की श्री गोविंद गौशाला प्रबंधन समिति द्वारा आयोजित श्रीमद भागवतम सप्ताह के आज सप्तम दिवस पर वृंदावन से पधारे कृष्ण कथा मर्मज्ञ एवं मनीषी भक्तिवेदांत सिद्धांती जी महाराज ने श्रद्धालुओं को आज मुख्य रूप से गोवर्धन लीला की प्रसंग का विस्तार से व्याख्यान सुनाया । उनके कथनानुसार कृष्ण मात्र 7 वर्ष के बालक थे तो मैया को पकवान बनाते देख पूछते हैं कि मैया क्या आज मेरा जन्मदिन ,है तो मैया कहती है, लाला मुझे परेशान मत कर जाकर अपने बाबा से पूछ।

जब कृष्ण नंद बाबा से जाकर पूछते हैं तो उनको बड़ी प्रसन्नता होती है कि मेरा बालक अब बड़ा हो रहा है और प्रश्न पूछता है। उन्होंने बताया कि हम वर्षा के देवता इंद्र भगवान को प्रसन्न करने के लिए उनकी पूजा की तैयारी कर रहे हैं इसीलिए तुम्हारी मैया और अन्य ब्रज गोपियां भोग निवेदित करने के लिए सुंदर-सुंदर पकवान बना रही हैं। कृष्ण सोचने लगे यह कौन सा देवता है, इस सृष्टि में जो भी कार्य होता है उसका संचालक तो मैं ही हूं। मैं तो किसी से कोई भेंट नहीं मांगता, इंद्र क्यों मांगता है। बाल कृष्ण ने बड़े सुंदर अंदाज में बाबा से कहा कि बाबा आप इंद्र की पूजा क्यों करते हो, हमें तो गोवर्धन जी सभी प्रकार की संपत्ति प्रदान करते हैं। हमारी गैया वहां पर हरी हरी घास चरने जाती है, जिससे हमें दूध मिलता है और मिठाई, दही और मक्खन आदि बनता हैं। हम सब वहां पर खेलने के लिए जाते हैं। वहां से सुंदर-सुंदर झरने निकलते हैं। गोवर्धन की ही हमें पूजा करनी चाहिए। आप सभी जगह घोषणा कर दो। सभी सुंदर सुंदर पकवान इत्यादि बनाकर गोवर्धन पहुंचते हैं। वहां पर भोग निवेदित किया जाता है। इस उत्सव का नाम दिया, गया अन्नकूट उत्सव । अन्न अर्थात भोजन और कूट अर्थात पर्वत। वहां पर मालपुए, खीर,पूरी, पकोड़ों और चावल इत्यादि के पर्वत बन गए। ब्रज वासियों ने जितना भोग निवेदित किया उनको उससे दुगना प्रसाद मिला। छोटे छोटे ग्वाल बाल कहने लगे ,अरे कन्हैया तेरा देवता तो बहुत अच्छा है, अगली बार तो हम और ज्यादा भोग लेकर आएंगे। अब प्रसाद तो खवाय दे बहुत भूख लगी है। कृष्ण कहते हैं पहले परिक्रमा करते है। सबसे आगे ब्राह्मण, उनके पीछे गईया और बछड़े, उनके पीछे नंद बाबा और उनके सखा, उनके पीछे कृष्ण और उनके सखा, उनके पीछे यशोदा मैया और उनकी गोपियां, उनके पीछे राधाजी व उनकी गोपियां और फिर सेविकाएं, इस प्रकार से परिक्रमा की। इस प्रकार कृष्ण को बृज में कोई भगवान नही मानता। तत्पश्चातआज बहुत सारे भक्तों को हरि नाम की दीक्षा प्रदान की गई तथा भागवत का विश्राम दिवस मनाया गया । समिति प्रधान राजेश सिंगला व उपप्रधान प्रमोद जैन ने कथा व्यास सिद्धांती महाराज जी तथा सभी भक्तों का धन्यवाद किया।