असहायों का जीवन बचाने के लिए लगाया रक्तदान शिविर
इन्द्री विजय कांबोज।। देश भर में आज महान क्रांतिकारी शहीद उधम सिंह की जयंती पर उन्हें नमन किया गया। जहां आज देश में जातीय तनाव का माहौल है, वहीं शेर सिंह के नाम से जन्में उधम सिंह ने अपना नाम राम मोहम्मद सिंह आजाद रखकर न केवल देश में आपसी भाईचारे की एकता का मिसाल पेश की, बल्कि विदेश में जाकर निर्दोष भारतीयों के खून का बदला लेकर शहीदों में शिरोमणी की दर्जा पाया। ऐसे महान शहीद को नमन करते हुए आज हमें बेहद गौरव की अनुभूति हो रही हैं। यह शब्द शहीद उधम सिंह समिति के अध्यक्ष नम्बरदार मेहर सिंह निर्मल ने आज इन्द्री में शहीद-ए-आजम उधम सिहं के जयंती समारोह की अध्यक्षता करते हुए कहें। यह समारोह आज इन्द्री में शहीद उधम सिहं समिति के आहवान पर किया गया। इस समारोह में सभी वर्ग, धर्म व सियासी दलों के नेताओं ने शहीद के चरणों में पुष्प अर्पित कर एकता की अनूठी मिसाल पेश की। शहीद उधम सिहं समिति ने आज फिर सभी सियासी दलों, सभी बिरादरी, संगठनों व धर्मो के लोगों को एक मंच पर लाकर इतिहास रचा। समारोह में बड़ी संख्या में लोग शहीद को नमन करने पहुंचे। शहीद उधम सिंह समिति द्वारा शहीद की जयंती व बलिदान दिवस समारोह का सफल आयोजन कर उन्हें नमन करने का सिलसिला पिछले 19 वर्षो से चल रहा है। इस अवसर पर शहीद उधम सिंह की जीवनी पर गीत की प्रस्तुति से उपस्थितजनों के मन में जोश भर गया। समारोह हवन-यज्ञ और पूजन के साथ शुरू हुआ और शहीद की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित करने के बाद प्रसाद वितरण पर कार्यक्रम का समापन हुआ। हवन-यज्ञ पण्डित राजेश शर्मा ने विधिविधान से कराया। इस अवसर पर हरियाणा काम्बोज सभा और निफा के सहयोग से रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में रक्तदाताओं ने हिस्सा लिया। लोगों ने शहीद उधम सिंह समिति के कार्यो की सराहना की। समारोह में बोलते हुए शहीद उधम सिहं समिति के अध्यक्ष एम एस निर्मल ने कहा कि शहीद उधम सिहं का जीवन सघंर्ष से भर हुआ है जिस ने देश के लिए अपने प्रणों की आहूति देकर लोगों में देशप्रेम की प्ररेणा का संचार किया। शहीद उधम सिहं का जन्म 26 दिसम्बर 1899 को पंजाब के सुनाम कस्बे में साधारण किसान सरदार टहल सिहं के घर में हुआ।
उधम सिहं के बचपन में मां-बाप का निधन हो गया। जब उधम सिहं ने दसवीं की परीक्षा पास कर जवानी की तरफ कदम रखा तो अंग्रेज हकूमत के गवर्नर माईकल ओयडवायर और जरनल डायर ने बैसाखी के पवित्र त्यौहार मनाने 13 अप्रैल 1919 को जलियांवाला बाग में इकटठे हुए निर्दोष लोगों पर गोलियां चलवा खूनी होली खेली। इस खूनी खेल के1800 से अधिक लोग शिकार हुए। इस दृष्य से उधम सिहं का खून खोल उठा तथा वहीं पर खून से सनी मिट्टी को उठकर इस घटना के दोषियों को सजा देने का निर्णय ले लिया। इसके लिए वह इग्ंलैण्ड गए और भरी जनसभा में ही दोनों हत्यारों को मौत के घाट उतारने का इंतजार 21 साल तक अनेक यातनाएं झेलकर करते रहे। आखिरकार वह दिन आ गया जिस की वह इंतजार में तडफ रहे थे। जब 13 मार्च 1940 को कैग्ंसटन हाल में हो रही एक जनसभा में माइक ओडवायर हिन्दुस्तानियों की हत्या करने की सेखी मार रहे थे तो उधम सिंह ने सरेआम माइक ओडवायर को गोलियों से भूनकर भारतीयों के खून का बदला ले लिया। देशवासियों का गर्व बढ़ाने वाले इस महान काम पर अंग्रेज हकूमत ने उन पर मुकद्मा चलाया और 5 जून को उन्हे फांसी सुना दी गई तथा 31 जुलाई 1940 को उन्हे शहीद कर दिया गया। उन्होंने कहा कि देशवासियों के मन में आजादी की ज्योत जलाने वाले उधम सिंह की इस शहीदत के कारण ही उन्हें शहीदों में सर्वोच्च स्थान हासिल हुआ।
समिति शहीद उधम सिंह की जीवनी पाठ्य पुस्तकों में शामिल करने तथा उनके नाम पर प्रमुख सार्वजनिक स्थानों के नाम रखने की मांग करती है ताकि उनके जीवन से देशवासियों के मन में आपसी एकता, भाईचारे और राष्ट्रप्रेम की प्रेरणा मिलती रहें। इसके साथ ही शहीद उधम सिंह समिति शहीद उधम सिंह की तरह देश के लिए अपने प्राण न्यौछावर करने वाले सभी राष्ट्र भक्तों को नमन् करती है। कार्यक्रम में पूर्व मन्त्री भीम मैहता, पूर्व विधायक राकेश काम्बोज, निफा के प्रदेशाध्यक्ष सरवन शर्मा, डॉ.सुरेन्द्र शर्मा, विक्की मल्होत्रा, प्रिंस धूडिया, काम बहुत सभा के प्रधान समर कंबोज, अश्वनी कंबोज, महासचिव राकेश कंबोज, भाजपा नेता पण्डित धर्मपाल शांडिल्य, भाजपा नेता विजयपाल वकील, कृष्ण बंसल, प्रदीप काम्बोज सरपंच, सचिन बुढऩपुर, किसाननेता मनजीतसिंह, रामपाल चहल, ओपी अरोडा , काम्बोज बदरपुर, राजबीर ढ़बकोली, आप नेता प्रदीप काम्बोज, मनजीत गोल्डी, नम्बरदार एसोसिएशन के जिला उप प्रधान राजबीर सिंह, किरण काम्बोज, भरत काम्बोज, रणधीर काम्बोज, पंकज काम्बोज, मनोज काम्बोज बिट्टू, कमल काम्बोज खेड़ा, मेमपाल फाजिलपुर, जजपा नेता मेहमसिंह राजेपुर, भाजपा नेता अमित काम्बोज, बलजीत राणा, पूर्ण नम्बरदार कैहरबा, विजय काम्बोज, सुभाष खेड़ा, राकेश शाहपुर, शमेसिंह काम्बोज शाहपुर,कृष्ण बंसल, जय प्रकाश काम्बोज, सुभाष मरादगढ़, जयपाल बंसल, सतीश काम्बोज, विजय काम्बोज, सुरेश अनेजा, रविन्द्र ढ़ागी व पंकज निर्मल आदि ने भी शहीद को शहीद को श्रद्धासुमन भेंट किए।