रट्टा पद्धति का विरोध करते हुए कहा कि इससे बच्चा व्यवहारिक ज्ञान हासिल नहीं कर पाता

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इंद्री विजय कांबोज।। स्थानीय राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय (लडके)में निपुण हरियाणा मिशन के अंतर्गत बुनियादी शिक्षा एवं संख्या ज्ञान पर आधारित चल रही अध्यापक प्रशिक्षण कार्यशाला के तीसरे दिन गणित विषय की अवधारणाओं को स्पष्ट करने के लिए मास्टर ट्रेनर्स ने बच्चों को सीखाने के तौर तरीको पर गंभीरता के साथ चर्चा की।
संपर्क फाउंडेशन की
डिस्ट्रिक्ट कोऑर्डिनेटर पूजा एवं जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान के प्राध्यापक करनैल सिंह बैंस ने चार समूह मैं चलाए जा रहे प्रशिक्षण की मौके पर पड़ताल की और अध्यापकों की उपस्थिति भी सुनिश्चित की।
समूह एक में अध्यापकों को प्रशिक्षण देते हुए मास्टर ट्रेनर्स रविंद्र शिल्पी व मोनिका ने कहा कि बच्चा जन्म के बाद से ही आसपास की वस्तुओं को देखकर उनके चित्र अपने मन मस्तिष्क पर अंकित करने लग जाता है। स्कूल में प्रवेश के बाद उसके पास बहुत चित्रों, आकृतियां का भंडार हो जाता है। वस्तुओं की संख्या के बारे में भी उसे कुछ-कुछ जानकारी हो जाती है। उन्होंने कहा कि बच्चों के इस पूर्व ज्ञान को और अधिक पुख्ता बनाने के लिए निर्धारित दक्षताओं के साथ जोड़कर आगे बढ़ाना चाहिए।
डॉ. बारूराम मंढान व नीतू कम्बोज ने समूह दो की प्रशिक्षण कार्यशाला में कहा कि गणित विषय सभी विषयों का आधार है। उन्होंने कहा कि गणित ज्ञान के बिना बच्चों के विकास के रास्ते बंद हो जाते हैं।
मास्टर ट्रेनर धर्मेंद्र चौधरी एवं सुनंदा समूह समूह के अध्यापकों से गणित विषय की दक्षताओं पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि गणित विषय को हिंदी सामाजिक विषय की तरह से नहीं पढ़ाया जा सकता। गणित विषय के लिए गतिविधि आधारित शिक्षण होना चाहिए। उन्होंने कहा कि खेल-खेल में गणित की अनेकों अवधारणाओं को स्पष्ट किया जा सकता है। उन्होंने रट्टा पद्धति का विरोध करते हुए कहा कि इससे बच्चा व्यवहारिक ज्ञान हासिल नहीं कर पाता।
मास्टर ट्रेनर कविता कविता रानी व निशा कम्बोज ने कहा कि गणित विषय को क्रमबद्धता में निरंतर के साथ सीखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि जो भी हमारे आसपास है वह हमें गणित के ज्ञान प्राप्त करने में मदद करता है।
कार्यशाला के विभिन्न क्रियाकलापों के संयोजन में शैलजा, रजत शर्मा, सुखविंद्र सिंह, युगलकिशोर, पूजा, गरिमा, अनिल आर्य, सविता, प्रियंका, रीना कम्बोज, गरिमा तथा मीडिया कोऑर्डिनेटर महिंद्र कुमार खेड़ा की महत्वपूर्ण भूमिका रही।