यातायात नियंत्रण के साथ बिजली बनाएंगे स्पीड ब्रेकर

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स्पीड ब्रेकर में रोलर सिस्टम लगाकर बिजली बनाने का फार्मूला पेटेंट कराया

पार्किंग स्थल और यातायात घनत्व वाले स्थानों पर लगा सकते हैं यह सिस्टम
कुरुक्षेत्र विजय कांबोज। स्पीड ब्रेकर न केवल यातायात को नियंत्रित करते हैं बल्कि अब वह ऊर्जा के बड़े विकल्प के रूप में भी काम आ सकते हैं। इसकी संभावनाओं को कुरुक्षेत्र के रहने वाले इंजीनियरिंग के दो छात्रों ने मूर्त रूप दिया है। छात्रों ने कहा कि स्पीड ब्रेकर में कन्वेयर रोलर सिस्टम लगाकर बिजली बनाई जाती है। जब वाहन स्पीड ब्रेकर से गुजरते हैं तो वे रोलर को घुमाते हैं और इससे बिजली बनती है। छात्रों ने इसका पेटेंट कराया है। यह पेटेंट 20 साल के लिए मिला है। पारंपरिक ऊर्जा स्रोत कम होते जा रहे हैं। कोयला, कच्चा तेज समेत तमाम संसाधन कम होते जा रहे हैं। यही कारण है कि अब सौ ऊर्जा के प्रयोग पर जोर दिया जा रहा है। पेट्रो उत्पादों को बचाने के लिए इलेक्ट्रिक वाहन शुरू हुए हैं। इनमें बिजली लगती है। अधिकतर बिजली का उत्पादन कोयला से हो रहा है।
ऐसे में ऊर्जा के दूसरे विकल्पों पर विचार किया जा रहा है। मानव रचना यूनिवर्सिटी के इंजीनियरिंग के छात्र कनिष्क करण एवं शिवांकर ने वैकल्पिक ऊर्जा पर काम शुरू किया। छात्रों ने यातायात को नियंत्रित करने के लिए सड़कों पर बनने वाले स्पीड ब्रेकर का इस्तेमाल बिजली उत्पादन में इस्तेमाल करने की ठानी और इस पर काम शुरू किया। कनिष्क ने अपने शोध में इस बात पर जोर दिया कि कम लागत में बिजली का उत्पादन हो तभी वह सार्थक साबित होगा।
पारंपरिक स्पीड ब्रेकरों में लगाने के लिए डिवाइस तैयार की। इसमें रोलर की अहम भूमिका है जैसे ही वाहन स्पीड ब्रेकर से गुजरते हैं, वे रोलर को घुमाते हैं। जो गति को डीसी मोटर/जनरेटर में स्थानांतरित करता है। इससे बिजली बनती है। यह विधि बिजली उत्पादन का एक प्रभावी तरीका है।
साथ ही इस मॉडल के निर्माण की लागत भी कम है। इस सिस्टम में रोलर्स को हल्के स्टील के रैंप पर लगाया जाता है। इस पर वाहन गुजरते हैं। जैसे ही वाहन इसके ऊपर से गुजरता है तो यह चलने लगता है। यहां पर होगा अधिक उत्पादन कनिष्क ने बताया कि यह विधि सड़कों, राजमार्गों, पार्किंग स्थलों पर लगे स्पीड ब्रेकर से गतिज ऊर्जा से बिजली उत्पन्न करने का बेहतर तरीका है। इसे प्रभावी ढंग से ट्रैफिक लाइटों के पास, पार्किंग स्थल के प्रवेश द्वार पर और यातायात के घनत्व वाले स्थान पर लगाया जा सकता है। इससे बिजली उत्पाद होगा।

उम्मीद थी कि जरूर पेटेंट प्रमाणपत्र मिलेगा
पेटेंट कार्यालय भारत सरकार ने पूरी परियोजना का बारीकी से परीक्षण किया। इसके बाद पेटेंट पर मुहर लगा दी। कनिष्क ने यह आवेदन 2017 में किया था। पेटेंट कार्यालय भारत सरकार ने 17 नवंबर 2023 को पेटेंट सर्टिफिकेट जारी किया। ग्रेटर नोएडा में रहने वाले कनिष्क ने बताया कि उन्हें उम्मीद थी कि यह पेटेंट जरूर मिलेगा। यह सपना साकार हो गया। मानव रचना यूनिवर्सिटी से सिविल में इंजीनियरिंग करने के बाद कनिष्क करण ने न्यूयार्क की कोलंबिया यूनिविर्सटी से इंग्लिश जर्नलिज्म एंड डाटा साइंस में पीजी किया है। कनिष्क के पिता रामलाल रेलवे के बड़े पद से सेवानिवृत्त हैं।