बाबा नानक देव जी का प्रकाशोत्सव बड़ी श्रद्धा व धूमधाम से मनाया गया

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इन्द्री विजय कांबोज।।
सिख धर्म के पहले गुरू श्री गुरू नानक देव जी का प्रकाशोत्सव इन्द्री के गुरूद्वारा साहिब में बड़ी श्रद्धा व धूमधाम से मनाया गया। इस मौके पर काफी संख्या में शहरवासी श्रद्धालु महिलाओं, पुरूष एवं बच्चों ने श्री दरबार साहिब जी के सम्मुख माथा टेका। इस धार्मिक आयोजन के उपलक्ष्य में श्री गुरूद्वारा साहिब में शनिवार को श्री अखंड़ पाठ साहिब जी का शुभारंभ किया गया ओर आज सुबह श्री अंखड़ पाठ साहिब जी की संपूर्णता की गई। इसके बाद सर्वस्व के भले के लिए अरदास की गई। इस मौके पर श्री मंजी साहिब गुरूद्वारा के कथावाचक भाई अमृतपाल जी के द्वारा गुरू के जीवन इतिहास के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। इन्द्री गुरूद्वारा साहिब जी के प्रमुख ग्रंथी भाई गुरमुख सिंह जी द्वारा कीर्तन कर गुरू की महिमा का बखान किया गया। उन्होंने अपने संबोधन में बताया कि आज श्री गुरूनानक देव जी की 554वीं जयंती है जिसे पूरे विश्व में बड़ी श्रद्धा से मनाया जा रहा है। इस दिन सभी गुरूद्वारों में दीपमाला की जाती है। उन्होंने बताया कि श्री गुरूनानक देव की जन्म 15 अप्रैल 1469 को गांव राय भोए की तलवंड़ी जिसे आजकल ननकाना साहिब कहा जाता है में हुआ था। उनके पिता का नाम मेहता कालू तथा माता का नाम तृप्ता था। बाबा नानक की एक बड़ी बहन बेबे नानकी थी जोकि उनको बहुत प्यार करती थी। बाबा नानक देव जी ने पूरी मानव जाति को भाईचारे का संदेश दिया सभी धर्मो के लोग उनका ओर उनकी शिक्षाओं का सम्मान करते थे। बाबा नानक जी ने 16 वर्ष की आयु में ही संस्कृत, हिंदी व फारसी आदि कई भाषाएं सीख ली थी। भाई गुरमुख सिंह जी ने  बताया कि बाबा नानक जी ने ईश्वर प्राप्ति के लिए लोगों से ईश्वर का नाम जपने को कहा। उन्होंने लोगों से दूसरों की सेवा ओर मदद करके आध्यात्मिक जीवन जीना सिखाया। गुरू नानक देव जी ने 22 सिंतबर 1539 ई. को करतारपुर में अपनी अंतिम सांस ली। कथा कीर्तन के बाद लंगर प्रशाद भी बरताया गया।  इस मौके पर गुरूद्वारा साहिब के प्रधान गुरप्रीत सिंह वालिया ने बताया कि आज रात को बच्चों का कवि दरबार लगाया जाएगा जिसमें बच्चें गुरू की महिमा का गुणगान करेगें। उन्होंने बताया कि गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी की ओर से कवि दरबार में भाग लेने वाले बच्चों को सम्मानित भी किया जाएगा।