बहु कक्षा शिक्षण एक महत्वपूर्ण और चुनौती पूर्ण शिक्षण पद्धति है – शैलजा गुप्ता

इंद्री विजय कांबोज।।

निपुण हरियाणा मिशन उसके अंतर्गत स्थानीय राजकीय मॉडल संस्कृति प्राथमिक विद्यालय में डॉ. गुरनाम सिंह खंड शिक्षा अधिकारी के नेतृत्व में चल रही बाल वाटिका अध्यापक प्रशिक्षण कार्यशाला के तीसरे दिन अध्यापकों ने समूह में मॉडल बनाकर प्रस्तुतियां दी।
बीआरपी धर्मेंद्र चौधरी रविंद्र शिल्पी एवं कविता कंबोज ने कार्यशाला में बताया कि ध्वनि चेतना, परिवेशीय वस्तुओं के चित्र बनाकर नामकरण, मात्रा पहचान, चित्र चार्ट पर कार्य, बिग बुक पर कार्य, मौखिक कहानी सुनाना, वर्ण व अक्षरों को जोड़कर शब्द बनाना,मिलकर पढ़ना, अभिनय, किताबें उठाना पलटना, वर्ण अक्षर बनाकर कार्य,पढ़कर कहानी सुनाना, जोड़े में पठन और स्वतंत्र पठन, मार्गदर्शन में पठन डिकोडेबल पाठ ग्रेडेड पाठ, चित्र का नामकरण एवं अनुभव पर चर्चा आदि के माध्यम से बच्चों के पठन कौशल का विकास किया जा सकता है।
प्रशिक्षक युगल किशोर एवं शैलजा गुप्ता ने बहु कक्षा शिक्षण के बारे बातचीत करते हुए कहा कि बहु कक्षा शिक्षण एक महत्वपूर्ण और चुनौती पूर्ण शिक्षण पद्धति है जिसमें एक ही कक्षा में विभिन्न आयु और विभिन्न कक्षाओं के छात्रों को एक साथ पढ़ाया जाता है। यह पद्धति विशेष रूप से उन विद्यालयों में अपनाई जाती है जहां शिक्षकों की कमी के कारण विद्यालय में एक ही शिक्षक को विभिन्न कक्षा के छात्रों को पढ़ना पड़ता है।
प्रशिक्षक रीना कंबोज व गरिमा शर्मा ने प्रभावी बहु कक्षा शिक्षण की रणनीतियों पर चर्चा की।
उन्होंने कहा कि योजना और समय प्रबंधन से साप्ताहिक योजनाएं बनाएं और हर सत्य के लिए एक योजना तैयार करें जिसमें विभिन्न कक्षा के लिए समय विभाजन किया गया हो। उन्होंने कहा की गतिविधियों का विभाजन ऐसे करें जो सामान विषयों को समान रूप से कवर करती हो। उन्होंने समग्र मूल्यांकन, संसाधनों का उचित प्रयोग, स्थानीय संसाधनों का उपयोग, प्रौद्योगिकी का समावेश, खुला संवाद और समाज की भागीदारी पर भी प्रकाश डाला।
प्रशिक्षण कार्यशाला में एबीआरसी रजत शर्मा, अनिल आर्य, पूजा गर्ग, अनुपमा,सुनंदा, सुखविंदर कंबोज, मीडिया प्रभारी महिंद्र कुमार उपस्थित रहे।

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