13 जनवरी लोहड़ी से 15 जनवरी मकर संक्रांति तक निफा इंद्री टीम द्वारा घर घर जाकर सम्मानित कर रही हैं। बेटी बेटा एक समान का संदेश देने वाले इन अभिभावकों को विशेष प्रशस्ति पत्र दिया जा रहा है।
इन्द्री विजय कांबोज।। इंद्री में एक वर्ष से कम आयु की बेटियों को जहां उपहार मिल रहे हैं वहीं उनके माता पिता का विशेष सम्मान किया जा रहा है। सामाजिक संस्था निफा इंद्री की अलग अलग टीमें सम्मान के लिए विशेष प्रशस्ति पत्र और उपहार लेकर उन घरों तक पहुँच रही हैं जहां बेटियों की लोहड़ी मनाई जा रही है। 21 वर्ष पहले शुरू हुई एक सोच 2006 में एक अभियान का रूप ले गई और 2023 आते आते उस अभियान ने समाज की पूरी सोच पर इतना असर डाला कि समाज में लड़का लड़की में भेदभाव करने वाले एक रिवाज को ही बदल डाला। उत्तर भारत में अन्य त्योहारों के साथ साथ लोहड़ी का उत्सव बड़े जोश के साथ मनाया जाता है और ख़ास तौर पर इसे पंजाबी समुदाय का उत्सव माना जाता है। लेकिन इस त्योहार के साथ एक भेद भाव भी जुड़ा था। जहाँ लोहड़ी के त्योहार पर लड़कों के जनम की ख़ुशी मनाई जाती थी, ढोल धमाके के साथ लोहड़ी के गीत गाये जाते थे वहीं लड़कियों के जनम पर ऐसे किसी उत्सव की कोई बात नहीं करता था। यहाँ तक कि लोहड़ी माँगने वाली टोलियाँ भी केवल उन्हीं घरों में जाती थी जिनके यहाँ बेटों ने जनम लिया होता था। लेकिन जनवरी 2002 में एक नई पहल करते हुए राष्ट्रीय मुद्दों पर अनेकों बार अपनी विशेष भूमिका दर्ज करवा चुकी संस्था नेशनल इंटीग्रेटेड फ़ोरम ऑफ़ आर्टिस्ट्स एंड एक्टिविस्टस (निफा) के संस्थापक अध्यक्ष व समाज सेवी प्रीतपाल सिंह पन्नु ने 2001 में जन्मी अपनी बेटी महक ज्योत की पहली लोहड़ी को उसी धूम धाम से मनाया जैसे समाज में लड़कों के जनम पर लोहड़ी मनाते थे। पन्नु की यह व्यक्तिगत सोच व पहल 2006 में एक अभियान में बदल गई जब उन्होंने अपनी संस्था के बैनर तले पहली बार “लोहड़ी बेटी के नाम” कार्यक्रम का आगाज़ किया। निफा अध्यक्ष का कहना है कि इस पहल को बहुत अधिक उत्साह नहीं मिला और नगर निगम व सरकारी अस्पताल से प्राप्त रिकॉर्ड से उनके साथियों ने क़रीब 10000 परिवारों को एक स्थान पर इकट्ठा होकर बेटी की पहली लोहड़ी मनाने के लिए संपर्क किया। अधिकांश घरों से उनका मज़ाक़ उड़ाया गया व कई परिवार जो बेटी के जन्म पर मायूस थे ने उन्हें व उनके साथियों को बुरा भला भी कहा। पहले आयोजन में पूरा ज़ोर लगाने के बाद 117 अभिभावक अपनी एक वर्ष से कम आयु की बेटियों के साथ उनके जनम की ख़ुशी को लोहड़ी के रूप में मनाने के लिए आगे आये। पर इस नई सोच के फलस्वरूप लोगों में एक नई जागृति आयी और 2007 में पाँच हज़ार व 2008 में 10000 बेटियों की सामूहिक लोहड़ी हरियाणा प्रदेश में मनाई गई। एक चिंगारी ने ज्वाला का रूप धारण किया और दिन प्रतिदिन बेटियों को लोहड़ी मनाने की प्रथा का स्वागत होने लगा। वर्ष 2014 में निफा ने हरियाणा, पंजाब, दिल्ली व चंडीगढ़ में अपनी शाखाओं की मदद से 87000 से अधिक बेटियों की लोहड़ी मनाकर एक रिकॉर्ड बनाया। वर्ष 2011 की लोहड़ी के दौरान बेटियों की लोहड़ी का गिनीज़ विश्व रिकॉर्ड भी बनाया गया। विगत 17 वर्षों में 6 लाख से अधिक बेटियों की लोहड़ी मना चुकी संस्था निफा ने इस वर्ष अपने स्तर पर सामूहिक लोहड़ी न मनाने का फ़ैसला किया ताकि यह देखा जा सके कि इस अभियान का समाज पर कितना असर हुआ है। इसके स्थान पर उन सभी अभिभावकों को सम्मानित करने का निर्णय लिया गया जो स्वयं अपने घर पर अपनी बेटी के जन्म पर लोहड़ी का तयौहार मना रहे हैं। अब तक केवल करनाल ज़िले से 450 से ज़्यादा परिवारों ने अपनी बेटी की लोहड़ी मनाने की जानकारी दी है जिसमें से इंद्री ब्लॉक में लगभग 100 बेटियों की जानकारी है, जिन्हें 13 जनवरी लोहड़ी से 15 जनवरी मकर संक्रांति तक निफा इंद्री टीम द्वारा घर घर जाकर सम्मानित कर रही हैं। बेटी बेटा एक समान का संदेश देने वाले इन अभिभावकों को विशेष प्रशस्ति पत्र दिया जा रहा है जबकि हर बच्ची को एक बेबी ब्लैंकेट उपहार के रूप में दिया जा रहा है। इसी प्रकार का अभियान हरियाणा के अन्य ज़िलों में भी निफा शाखाओं द्वारा किया जा रहा है। प्रीतपाल सिंह पन्नु का कहना है कि यह 17 वर्षों के निरंतर चले अभियान का परिणाम है कि जहां यह त्योहार केवल लड़कों के जनम के साथ जुड़ा है वहीं अब यह लिंग समानता को दर्शाने वाला उत्सव बन चुका है। एक अनुमान के अनुसार आज करनाल ज़िले में एक हज़ार से अधिक नई जन्मी बेटियों की लोहड़ी मनाई जा रही है जो इस बात का सबूत है कि लड़के लड़की में भेदभाव करने वाला रिवाज अब बदल चुका है। यहाँ तक कि केवल पंजाबी समुदाय का त्योहार माने जाने वाले इस लोहड़ी पर्व को अब हर जाति व धर्म के लोग बेटियों के सम्मान में मना रहे हैं। निफा को प्राप्त रजिस्ट्रेशन के अनुसार सिख, हिंदू व मुस्लिम परिवारों में भी बेटियों की लोहड़ी मनाई जा रही है व साथ ही अलग अलग जातियों के लोग भी इस उत्सव का हिस्सा बन रहे हैं। कभी लिंग के आधार पर भेद भाव का प्रयाय रहा यह त्योहार अब लिंग समानता व सामाजिक एकता व सद्भाव का उत्सव बन चुका है।
आज इंद्री के अलग अलग हिस्सों में निफा प्रदेश अध्यक्ष श्रवण शर्मा,निफा के आजीवन सदस्य डॉ सुरेंद्रदत्त,इंद्री प्रधान शिव शर्मा,भारत भूषण मल्होत्रा,मोहन लाल बत्रा, मास्टर सतीश भाटिया, तरुण मैंहता,सचिव अरुण शर्मा,उपप्रधान करणजीत सिंह,अनिल जांगड़ा,चिराग़ कथूरिया,इंद्री महिला विंग की प्रधान नीरू देवी, मानसी काम्बोज के संयोजन में अलग अलग टीमें हर उस घर तक पहुँच रही हैं जहां बेटियों को उनकी पहली लोहड़ी मनाकर सम्मान दिया जा रहा है।