हरियाणा में जननायक जनता पार्टी (JJP) को लोकसभा चुनाव के बीच खासकर ग्रामीण इलाकों में किसानों के भारी विरोध का सामना करना पड़ रहा है। गठबंधन टूटने के बाद अपने वजूद को बचाने की जुगत में लगी JJP के सीनियर नेताओं को गांवों में घुसने तक नहीं दिया जा रहा।
पूर्व डिप्टी CM दुष्यंत चौटाला का हिसार में दो जगह, अजय चौटाला का भिवानी तो दिग्विजय चौटाला को बुधवार को अपने गृह जिले सिरसा में किसानों के आक्रोश का सामना करना पड़ा। गांव पीपली में प्रचार के लिए पहुंचे दिग्विजय को गांव में घुसने से ही रोक दिया गया।
डबवाली में किसानों ने दिग्विजय चौटाला को बढ़ने नहीं दिया
अपने कार्यक्रम के लिए बुधवार को डबवाली के पिपली गांव में पहुंचे दिग्विजय चौटाला को किसानों ने रास्ते में रोक लिया। इस दौरान किसान ने उनसे पूछा कि आप किस हैसियत से आज हमारे बीच आ रहे हैं? जब डबवाली में किसानों को रोक कर बैरिकेड्स लगाए और अत्याचार हुआ तब कहां थे?
इस पर दिग्विजय चौटाला ने कहा कि मैं कल भी BJP के खिलाफ था और आज भी BJP के खिलाफ हूं। तब किसान बोले कि तो क्या BJP के साथ दुष्यंत चौटाला थे, अजय चौटाला थे या फिर आपकी मां नैना चौटाला थीं? इस पर भी दिग्विजय चौटाला बोले कि हम BJP के खिलाफ थे और हैं।
किसानों ने कहा कि आपके पिता तो किसान आंदोलन को बीमारी बताते हैं। हम बीमारी हैं? इतना कहकर किसान सड़क के बीच में बैठ गए और दिग्विजय को आगे बढ़ने से रोक दिया। किसानों ने BJP-JJP के खिलाफ नारेबाजी भी की।
दुष्यंत और अजय चौटाला भी कर चुके विरोध का सामना
बता दें कि 2 दिन पहले भिवानी जिले के गांव कुंगड़ में काले झंडे लेकर सैकड़ों किसानों ने JJP अध्यक्ष अजय चौटाला के काफिले को रोक दिया था। अजय ने किसानों को समझाने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने सुनने से इनकार कर दिया। आखिरकार JJP नेता गांव में बिना बैठक किए ही लौट गए।
वहीं, पिछले सप्ताह अजय चौटाला के बेटे पूर्व डिप्टी CM दुष्यंत चौटाला को उनके चुनाव अभियान के दौरान 2 बार रोका गया। हिसार के गमरा गांव और नारनौंद विधानसभा क्षेत्र के नाडा गांव में दुष्यंत को किसानों के विरोध का सामना करना पड़ा।
JJP के साथ-साथ BJP के भी नेताओं को हरियाणा की जाट बेल्ट हिसार, भिवानी, झज्जर, रोहतक, सोनीपत, सिरसा, जींद आदि के गांवों में विरोध का सामना करना पड़ रहा है।
JJP को मिलीं जाट बाहुल्य सीटें
दरअसल, 2019 के विधानसभा चुनाव में BJP को हरियाणा में पूर्ण बहुमत नहीं मिला। इसके पीछे की वजह भी सूबे में जाटों के विरोध को ही माना जाता है। वहीं विधानसभा चुनाव से ठीक एक साल पहले बनी JJP को 10 सीटें मिल गईं। हिसार, फतेहाबाद, जींद और भिवानी जिले की जो सीटें JJP के खाते में गईं, जो जाट बाहुल्य हैं।
ऐसे में स्पष्ट है कि यहां भी जनादेश सत्ताधारी पार्टी के ही खिलाफ गया, लेकिन विकल्प के रूप में लोगों ने JJP को चुना। तब हालात ऐसे बने कि बहुमत से दूर रहने के बाद BJP ने JJP पर डोरे डाले और गठबंधन की सरकार बना ली। इस प्रकार न चाहते हुए भी जाटों के वोट का फायदा BJP तक पहुंचा। करीब सवा 4 साल तक दोनों पार्टियों ने गठबंधन की सरकार चलाई।
2020 में किसानों के सबसे बड़े आंदोलन की चिंगारी हरियाणा में उठी, जिसके चलते BJP और JJP को लंबे समय तक किसानों के विरोध का भी सामना करना पड़ा। लेकिन, 3 नए कृषि कानूनों को केंद्र सरकार द्वारा वापस लेने के बाद किसानों का आंदोलन खत्म हो गया। इसके बाद फिर से दोनों पार्टियों की सरकार चलती रही।
लोकसभा चुनाव से ठीक पहले तोड़ा गठबंधन
लोकसभा चुनाव से ठीक पहले 12 मार्च को BJP ने JJP से नाता तोड़ लिया। BJP ने निर्दलीय MLA के साथ मिलकर दोबारा से सरकार बना ली। बाकायदा सरकार के मुखिया का चेहरा बदलकर नायब सैनी को मुख्यमंत्री बनाया गया। ये सबकुछ अचानक हुआ घटनाक्रम लगने लगा, लेकिन इसकी पटकथा पहले से ही लिखी जा चुकी थी।
इसके बाद एक महीने के भीतर ही हरियाणा की चुनावी फिजा पूरी तरह बदल गई। JJP के कई बड़े नेताओं ने पार्टी का दामन छोड़ दिया। BJP ने हरियाणा की सभी 10 लोकसभा सीटों पर सबसे पहले प्रत्याशी घोषित कर दिए, लेकिन जब चुनावी प्रचार के मैदान में उतरने की बारी आई तो विरोध शुरू हो गया।
हालांकि, JJP ने अभी हरियाणा की किसी भी सीट पर कैंडिडेट घोषित नहीं किया है, लेकिन यहां सबसे ज्यादा विरोध JJP के नेताओं को ही उठाना पड़ रहा है।
JJP में इस्तीफों की लगी झड़ी
गठबंधन टूटने के बाद JJP में इस्तीफों की झड़ी लगी हुई है। बरवाला सीट से JJP विधायक जोगी राम सिहाग ने पार्टी के सभी पदों से अपना इस्तीफा दे दिया है। इससे पहले JJP के प्रदेश अध्यक्ष निशान सिंह और महासचिव व नारनौल नगर परिषद के चेयरपर्सन कमलेश सैनी ने पद और पार्टी से इस्तीफा दे दिया।
इसके अलावा कई अन्य पदाधिकारियों ने पार्टी से इस्तीफा दिया है, जिससे JJP के लिए हालात मुश्किल हो गए हैं। एक तरह गांवों में किसानों का विरोध और दूसरी तरफ पार्टी नेताओं के इस्तीफों ने JJP की बचैनी बढ़ा दी है।