हरियाणा के नारनौंद क्षेत्र में गांव नाड़ा के बाद खानपुर और सिंधड़ गांव में भी दुष्यंत चौटाला का किसानों ने विरोध किया। किसानों ने उनकी गाड़ी घेर ली और जमकर नारेबाजी की। उन्हें गांव में घुसने नहीं दिया गया।
दुष्यंत चौटाला को कच्चे रास्ते से गांव से निकलना पड़ा। वहीं विरोध को देखते हुए डाटा गांव के कार्यक्रम को रद्द करना पड़ा।
रात करीब 9 बजे दुष्यंत चौटाला गांव खानपुर पहुंचे, लेकिन यहां किसान विरोध करते हुए उनकी गाड़ी के आगे खड़े हो गए। इस दौरान ग्रामीणों ने कहा जब आप सत्ता में थे तो प्रदेश के किसानों को दिल्ली जाने से रोका गया। वहीं किसानों की जो मांगें थी उनको अनदेखा करके सत्ता के मोह में भाजपा सरकार का साथ देते रहे। इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।
उम्मीदवारों को गांव में घुसने नहीं देंगे
किसानों ने कहा कि लोकसभा व विधानसभा चुनाव में भाजपा व जजपा पार्टी का पूरी तरह से विरोध किया जाएगा और इनके उम्मीदवारों को गांव में घुसने नहीं दिया जाएगा। ग्रामीणों ने कहा कि भाजपा को यमुना पार करने वाले सत्ता के लालच में उनकी गोद में बैठे रहे। जब भाजपा ने उनको बाहर का रास्ता दिखाया तो आज उनको गांव के भोले भाले लोगों की याद आई।
हकों की लड़ाई के लिए मजबूती के साथ आंदोलन करेंगे
आज किसान जागरूक हो चुका है और वो अपने हकों की लड़ाई लड़ने के लिए पूरी मजबूती के साथ आंदोलन करेगा। जो पार्टी उनकी मांगों को पूरा नहीं करेगी, उन पार्टियों के प्रत्याशियों का विरोध करते हुए उन्हें गांव में नहीं घुसने दिया जाएगा।
किसान बोले- मनोहर लाल और दुष्यंत ने सीमाओं पर कंटीली तारें लगवाई
किसानों ने बताया कि वो एमएसपी की मांग को लेकर दिल्ली में आंदोलन करना चाह रहे थे, लेकिन प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल व पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने प्रदेश की सीमाओं पर कंटीली तारें व दीवारें बनाकर एक ही देश में रहने वाले लोगों के लिए बॉर्डर बना दिए। ताकि देश व प्रदेश के किसान दिल्ली में ना घुस सकें।
गांव की सीमा पर नेताओं को रोकेंगे
उन्होंने दिल्ली की सीमाओं पर बॉर्डर बनाए थे और अब किसान इन दोनों पार्टियों के नेताओं के लिए गांव-गांव की सीमाओं में बॉर्डर बनाकर बैठेंगे और इन्हें गांव में घुसने से रोकेंगे।
नाड़ा में काले झंडे दिखाए, किसानों के साथ बहस भी हुई
इससे पहले गांव नाड़ा में कार्यकर्ताओं से मिलने पहुंचे पूर्व उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला का किसानों ने विरोध किया। इस दौरान उन्हें काले झंडे दिखाए गए। साथ ही कुछ स्थानीय युवाओं की चौटाला के साथ सीधी बहस भी हुई।
बहस के बाद किसान भड़क गए थे। उनका कहना था कि दुष्यंत ने उनसे कहा है कि उन्हें राजनीति न सिखाएं। इसके बाद किसानों ने चौटाला को गांव के बाहर गाड़ी खड़ी कर पैदल जाने पर मजबूर कर दिया। किसानों के विरोध के चलते चौटाला को एक कार्यकर्ता की गाड़ी में गांव तक ले जाया गया।